आगरा का ताजमहल, जो दुनिया के सात अजूबों में शुमार है, अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए तो मशहूर है ही, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इसे बनाने के पीछे की तकनीक कितनी अनोखी थी? मुगल काल में तो सीमेंट जैसी चीज थी ही नहीं, फिर भी ताजमहल आज सैकड़ों साल बाद भी वैसा ही खड़ा है, जैसा पहले था। आइए, जानते हैं इसके निर्माण का वो जादू जो आज भी सबको हैरान करता है।
मकराना के संगमरमर का कमालताजमहल की चमक का राज है राजस्थान की मकराना खदानों से लाया गया सफेद संगमरमर। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि इस बेशकीमती पत्थर को दूर-दूर से लाकर ताजमहल की दीवारों को सजाया गया। यह संगमरमर न सिर्फ खूबसूरत था, बल्कि इतना मजबूत भी कि आज भी इसकी चमक फीकी नहीं पड़ी। इसके अलावा, ताजमहल के निर्माण में ईंटें, मीठा चूना पत्थर, लाल मिट्टी, गोंद, कांच और खरपरेल जैसी चीजों का भी इस्तेमाल हुआ। इन सभी ने मिलकर ताजमहल को वो मजबूती दी, जो इसे एक स्थापत्य चमत्कार बनाती है।
अनोखा मोर्टार, जो बना गजब का जोड़आज हम सीमेंट से इमारतें जोड़ते हैं, लेकिन मुगल काल में ऐसा कुछ नहीं था। फिर पत्थरों को आपस में जोड़ा कैसे गया? इसके लिए कारीगरों ने एक खास मोर्टार तैयार किया। इसमें गुड़, बताशा, उड़द की दाल, दही, बेलगिरी का पानी, जूट और छोटे-छोटे कंकड़ मिलाए गए। यह मिश्रण इतना मजबूत था कि पत्थरों को एक-दूसरे से चिपकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि ताजमहल की दीवारें आज भी उतनी ही मजबूत हैं, जितनी पहले थीं।
पिएत्रा दुरा: कीमती पत्थरों की चमकताजमहल की सजावट में कीमती पत्थरों का जादू देखने को मिलता है। इसके लिए इस्तेमाल हुई थी पिएत्रा दुरा तकनीक। इस तकनीक में रंग-बिरंगे कीमती पत्थरों को नक्काशी करके संगमरमर में जड़ा जाता था। यह काम इतना बारीक था कि हर डिजाइन में जान डाल देता था। फूल, पत्तियां और ज्यामितीय आकृतियां ताजमहल की दीवारों पर आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
नींव का रहस्य: कुएं और मेहराबों का सहाराताजमहल की नींव को इतना मजबूत बनाया गया कि यह सैकड़ों सालों तक बिना हिले-डुले खड़ा रहे। इसके लिए कारीगरों ने कुओं और मेहराबों की खास तकनीक का इस्तेमाल किया। ये कुएं और मेहराबें ताजमहल को न सिर्फ स्थिरता देती हैं, बल्कि यमुना नदी के किनारे होने के बावजूद इसे किसी भी तरह के नुकसान से बचाती हैं। यही वजह है कि ताजमहल आज भी उतना ही भव्य और टिकाऊ है।
ताजमहल का निर्माण सिर्फ पत्थरों और मोर्टार की कहानी नहीं, बल्कि उस दौर की इंजीनियरिंग और कारीगरी का एक जीता-जागता सबूत है। यह हमें बताता है कि बिना आधुनिक तकनीक के भी इंसान क्या कमाल कर सकता है!
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