PM Kisan Yojana : भारत सरकार की PM Kisan सम्मान निधि योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। इस स्कीम के तहत पात्र किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद तीन किस्तों में दी जाती है। लेकिन तेलंगाना में हजारों किसान इस लाभ से वंचित होने के कगार पर हैं। वजह? यूनिक फार्मर आईडी के रजिस्ट्रेशन में तकनीकी अड़चनें।
ये समस्याएं न सिर्फ PM Kisan योजना को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि फसल बीमा और सब्सिडी जैसे अन्य लाभों पर भी असर डाल सकती हैं। आइए, इस मसले को करीब से समझते हैं।
रजिस्ट्रेशन में अटक रही राह
तेलंगाना के कई किसानों को रजिस्ट्रेशन में दिक्कत इसलिए आ रही है क्योंकि उनके आधार कार्ड और लैंड पासबुक में दर्ज पते अलग-अलग हैं। कई किसान शहरों में रहते हैं, जहां का पता उनके आधार में दर्ज है, जबकि उनकी जमीन गांव में है और लैंड पासबुक में वही पता लिखा है।
इस बेमेल की वजह से सिस्टम डेटा को लिंक नहीं कर पा रहा, और रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट हो रहे हैं। कुछ किसान ओटीपी तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन दस्तावेज अपलोड करते समय सिस्टम में एरर आ जाती है। मौजूदा नियमों के मुताबिक, दोनों दस्तावेजों में एकसमान पता होना जरूरी है, जो कई किसानों के लिए व्यावहारिक नहीं है। परेशान किसानों ने सरकार से नियमों में ढील देने की मांग की है।
तकनीकी खामियों का असर
अगर ये तकनीकी दिक्कतें जल्द दूर नहीं हुईं, तो किसानों को न सिर्फ PM Kisan योजना की 6,000 रुपये की मदद से हाथ धोना पड़ सकता है, बल्कि फसल बीमा और फल, सब्जी व रेशम की खेती पर दी जाने वाली 60% सब्सिडी भी गंवानी पड़ सकती है। खासकर छोटे किसानों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, जिनके लिए ये योजनाएं आय का मुख्य स्रोत हैं। तेलंगाना में करीब 70 लाख भूमिधारी किसानों में से 40 लाख इस योजना का लाभ ले रहे हैं, लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों ने कईयों की राह मुश्किल कर दी है।
तेलंगाना क्यों है पीछे?
देश के 19 राज्यों ने अपने किसानों का यूनिक फार्मर आईडी रजिस्ट्रेशन पूरा कर केंद्र को डेटा भेज दिया है, लेकिन तेलंगाना में अब तक सिर्फ 30% पात्र किसान ही रजिस्टर हो पाए हैं। इसका कारण है जटिल ऑनलाइन प्रक्रिया और तकनीकी समस्याएं। हालांकि, तेलंगाना सरकार ने 6 जून तक रजिस्ट्रेशन पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
इसके बाद MeeSeva केंद्रों के जरिए भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू होगी, जो उन किसानों के लिए राहत की खबर है जो ऑनलाइन प्रक्रिया में उलझ रहे हैं।
यूनिक फार्मर आईडी का मकसद
यूनिक फार्मर आईडी का उद्देश्य सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना, फर्जीवाड़े को रोकना और आपदा या फसल नुकसान के समय तुरंत मुआवजा देना है। इससे किसानों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन जब तक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सरल और सुगम नहीं होगी, यह उद्देश्य पूरा होता दिखाई नहीं देता।
समय पर कदम उठाएं किसान
PM Kisan जैसी योजनाएं किसानों की आर्थिक रीढ़ हैं, लेकिन तकनीकी खामियों और जटिल नियमों की वजह से कई किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे। किसानों को सलाह है कि वे जल्द से जल्द अपने दस्तावेजों की जांच करें और रजिस्ट्रेशन पूरा करें। साथ ही, सरकार को भी चाहिए कि वह नियमों को और व्यावहारिक बनाए ताकि छोटे और सीमांत किसानों को इन योजनाओं का पूरा फायदा मिल सके।
You may also like
राजनाथ सिंह ने चीन में रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों के साथ की बैठक
बिहार में हरियाणा के युवक की हत्या, 5 लाख रुपए बनी मौत की वजह
निखत जरीन, ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन तेलंगाना में एलीट महिला मुक्केबाजी टूर्नामेंट में भाग लेंगी
CM भजनलाल के 'चैलेंज' ने मचाया सियासी भूचाल! 3 दिनों में पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर हुई बयानबाजी, राजस्थान की राजनीति में आया उबाल
शोले की 50 साल बाद फ़िल्मी पर्दे पर वापसी, नए क्लाइमेक्स की है चर्चा