– इतिहास को नए दृष्टिकोण से समझने का आह्वान : श्रीप्रकाश मिश्र
Prayagraj, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) . ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज मंगलवार को ऐतिहासिक विमर्श का साक्षी बना, जब हिन्दी पखवाड़े के समापन समारोह में चौरी चौरा आंदोलन और हिन्दी समाज का संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता, प्रख्यात कवि-कथाकार एवं आलोचक श्रीप्रकाश मिश्र ने अपने उद्बोधन से इतिहास के उस महत्वपूर्ण अध्याय को जीवंत कर दिया, जिसे अक्सर केवल एक हिंसक घटना के रूप में सीमित कर दिया जाता है.
मुख्य वक्ता श्रीप्रकाश मिश्र ने अपने वक्तव्य की शुरुआत ही इस शक्तिशाली वाक्य से की, चौरी चौरा महज एक थाने में आगजनी की घटना नहीं, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के दमन और शोषण के खिलाफ आम आदमी के सीने में दबी हुई आग थी, जो गुलामी की जंजीरों को पिघलाने वाली चिंगारी बनी.
उन्होंने तथ्यों और तर्कों के साथ स्थापित किया कि यह आंदोलन गांधीजी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित तो था, लेकिन इसकी ऊर्जा और आक्रोश स्थानीय था. यह उस हिन्दी भाषी किसान समाज का विद्रोह था जो दशकों से जमींदारों के लगान, पुलिसिया अत्याचार और औपनिवेशिक शोषण की चक्की में पिस रहा था. उन्होंने बताया कि कैसे राष्ट्रवाद का संदेश जब अवधी और भोजपुरी जैसी लोक बोलियों में ढला, तो उसने एक क्रांतिकारी रूप ले लिया. यह आंदोलन हिन्दी समाज की अपनी भाषा में, अपने प्रतीकों के साथ आत्म-सम्मान की लड़ाई थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चौरी चौरा के नायकों को उन्मादी भीड़ कहना इतिहास के साथ अन्याय है, वे अपने हक के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने साहित्य के छात्रों से आह्वान किया कि वे लोकगीतों और लोककथाओं में छिपे इस इतिहास को खोजें और उसे सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करें.
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. मान सिंह के स्वागत वक्तव्य से हुआ. उन्होंने मुख्य वक्ता श्रीप्रकाश मिश्र का परिचय देते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अकादमिक विमर्श महाविद्यालय की बौद्धिक सम्पदा हैं. उन्होंने हिन्दी के उत्थान में ऐसे आयोजनों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. इसके बाद, विषय-प्रवर्तन करते हुए डॉ. रेफाक अहमद ने व्याख्यान की भूमिका प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि इतिहास केवल तिथियों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि वंचित समाज के संघर्षों को समझने का माध्यम है. उन्होंने कुछ ज्वलंत प्रश्न उठाए कि चौरी चौरा के नायक वास्तव में कौन थे और मुख्यधारा के इतिहास-लेखन में उन्हें वह स्थान क्यों नहीं मिला जिसके वे हकदार थे?
महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ मनोज कुमार दूबे ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंकित पाठक ने एवं कार्यक्रम के संयोजक हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. आलोक मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. उन्होंने मुख्य वक्ता के सारगर्भित व्याख्यान को इतिहास की पुनर्व्याख्या बताते हुए उनका हार्दिक आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह व्याख्यान हमें इतिहास को सत्ता के चश्मे से नहीं, बल्कि समाज के नजरिए से देखने की दृष्टि देता है. डॉ. मिश्रा ने आयोजन के सफल संचालन के लिए आईक्यूएसी समेत सभी सहयोगियों और बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं का धन्यवाद किया. इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद रहे और उन्होंने वक्ता के साथ संवाद भी किया.
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
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