अगली ख़बर
Newszop

डाला छठ के तीसरे दिन वाराणसी में अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया पहला अर्घ्य

Send Push

image

image

धुंध और बदली के बीच गंगा घाटों,कुंडों और तालाबों पर आस्था का सैलाब,पारंपरिक छठ गीतों की गूंज

वाराणसी, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh की धार्मिक नगरी वाराणसी में लोक आस्था के महापर्व डाला छठ (सूर्य षष्ठी) पर Monday को व्रती महिलाओं और उनके परिजनों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की आराधना की. 36 घंटे का निर्जला व्रत रख लाखों व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजनों ने चार दिवसीय लोक पर्व में तीसरे दिन पूरे आस्था और विश्वास के साथ धुंध और बदली हल्की बूंदाबांदी के बीच अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का पहला अर्घ्य दिया. साफ-सफाई और शुद्धता से बने विविध पकवानों और मौसमी फलों से सजे सूप के आगे से अर्घ्य देकर महिलाओं ने भगवान सूर्य और छठी मइया से परिवार में मंगल, वंश वृद्धि, संतति की कामना की.

इस दौरान गंगा घाटों,वरूणा नदी के किनारे, सरोवरों, कुंडों, अस्थायी बने जलाशयों पर महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की भारी भीड़ जुटी रही. अर्घ्य देने के पूर्व गंगा घाटों पर व्रती महिलाएं जहां वेदी का पूजन कर फल से भरे बांस के सूप को हाथ में लेकर कमर या घुटने भर पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की मौन उपासना कर रही थीं. वहीं, उनके साथ आईं महिलाएं छठी मइया का परम्परागत गीत ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, उजे केरवा जे फरेला घवद से ओ पर सुग्गा मेरराय, मोरा घाटे दुबिया उपजि गइले’ आदि गा रही थी. उनके आगे सिर पर दउरा लिए परिवार के पुरुष सदस्य मौजूद रहे. गंगा घाटों पर सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद डाल व सूप लेकर घर लौटते समय व्रती महिलाएं कलश पर जलता हुआ दीपक भी लिए हुए थी. सड़क पर भीड़ के धक्के से दीपक को बचाने के लिए परिवार के अन्य सदस्य व्रती महिलाओं के चारों ओर घेरा बना कर चल रहे थे. सूर्योपासना के इस महाव्रत का पारण मंगलवार तड़के उदयाचलगामी सूर्य को अन्तिम अर्घ्य देने के बाद होगा.

इसके पूर्व दोपहर बाद से ही गंगा तट, कुंड सरोवरों पर कठिन उपवास रख व्रती महिलाएं समूह में परिजनों के साथ छठ मइया की पारम्परिक गीत गाते हुए पहुंचने लगीं. परिजन भी लाल और पीले कपड़ों की पोटली में रखे डाल दउरी (पूजन सामग्री, फल, फूल) सिर पर रख गाजे बाजे के साथ चल रहे थे. इस दौरान बच्चों और युवाओं का आस्था और जोश देखते बन रहा था. घाट पर पहुंचने के बाद व्रती महिलाओं ने दीप प्रज्ज्वलित कर वेदी पूजन कर छठ मईया की पूजा की. इसके बाद एक दीप गंगा मईया और एक दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया. फिर गंगा नदी, कुंडों में कमर भर पानी में जाकर खड़ी हो गईं.

महापर्व पर सामनेघाट, अस्सीघाट, तुलसी घाट, हनुमान घाट से लेकर मान सरोवर पांडेय घाट, दरभंगा घाट, मीरघाट, सिंधिया घाट, गायघाट, भैसासुर तक सिर्फ छठी मइया के भक्त नजर आ रहे थे. सर्वाधिक भीड़ दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा, सामने घाट पर रहा. इस दौरान घाटों पर 11 एनडीआरफ, जल पुलिस भी चौकस नजर आई. पर्व पर बीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर, सूरज कुंड, लक्ष्मीकुंड, ईश्वरगंगी तालाब, पुष्कर तालाब, संकुलधारा पोखरा, पिशाचमोचन तालाब, रामकुंड के साथ घरों और कालोनियों में बने अस्थाई कुंडों पर अर्घ्यदान के लिए व्रती महिलाएं और उनके परिजन जुटे रहे. इन कुंडों तालाबों के आसपास आकर्षक सजावट भी की गई थी. गंगा तट और सूर्य सरोवर के आसपास विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से सहायता एवं सेवा शिविर भी लगाए गए थे.

हजारों महिलाएं घाट पर रुकीं

धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में डाला छठ के तीसरे दिन Monday को गंगा तट पर पहुंची हजारों महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद घाटों पर ही रुक गईं. लगभग 36 घंटे तक निराजल रहने वाली व्रती महिलाएं पूरी रात गंगा तट पर खुले आसमान के नीचे रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन के बीच मंगलवार तड़के उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर घर लौटेंगी.

—————

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें