Next Story
Newszop

पवन शर्मा ने इस्लामी दंगाइयों को शहीद बताकर महिमामंडित करने की निंदा की

Send Push

जम्मू, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य सचिव पवन शर्मा ने 13 जुलाई को ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और हमलावरों व कट्टरपंथियों को शहीद बताकर महिमामंडित करने के प्रयासों की कड़ी निंदा की। 13 जुलाई को कुछ राजनीतिक हस्तियों ने ऐतिहासिक रूप से गलत तरीके से पेश किया है।

शर्मा ने कहा कि 13 जुलाई उस काले अध्याय की याद दिलाता है जब सांप्रदायिक हिंसा को शहादत का झूठा आख्यान दिया गया था। उमर अब्दुल्ला द्वारा इस्लामी दंगाइयों की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से करने की हालिया टिप्पणी न केवल अत्यंत निंदनीय है बल्कि राष्ट्र और उसके सच्चे स्वतंत्रता संग्राम का अपमान भी है।

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के बयान एक खतरनाक सांप्रदायिक दुष्प्रचार का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य हिंसा को वैध बनाना और जम्मू-कश्मीर में शांति को अस्थिर करना है। शर्मा ने ज़ोर देकर कहा दंगाइयों की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से करना इतिहास को फिर से लिखने और उस क्षेत्र में कलह पैदा करने का प्रयास है जिसने लंबे समय तक कष्ट सहा है। उस दिन की घटनाओं को याद करते हुए शर्मा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि निर्दोष कश्मीरी हिंदुओं पर धार्मिक कट्टरपंथियों ने अत्याचार, लूटपाट और सांप्रदायिक नफ़रत फैलाई।

उन्होंने बताया कि अब्दुल क़दीर जिस व्यक्ति की इस दिन अक्सर प्रशंसा की जाती है वह जम्मू-कश्मीर का निवासी भी नहीं था। शर्मा ने कहा वह एक बाहरी व्यक्ति था जिसे अंग्रेजों ने अशांति फैलाने और महाराजा हरि सिंह के शासन को कमज़ोर करने के लिए भेजा था। उसने झूठे बहाने बनाकर स्थानीय लोगों को भड़काया और गुमराह किया। उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर हिंदू अत्याचारों के दोषियों का महिमामंडन करने का भी आरोप लगाया।

शर्मा ने कहा कि निर्दोष कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के लिए ज़िम्मेदार लोगों का महिमामंडन करके उमर अब्दुल्ला अपना असली चेहरा उजागर कर रहे हैं। हिंदुओं के कत्लेआम करने वालों को शहीद कहना न केवल ऐतिहासिक रूप से गलत है बल्कि नैतिक रूप से निंदनीय और पीड़ितों की सामूहिक स्मृति का अपमान भी है।

शर्मा ने आगे कहा कि इस तरह की टिप्पणियाँ न केवल विभाजनकारी हैं बल्कि जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने और सामाजिक सद्भाव को कमज़ोर करने की जानबूझकर की गई कोशिश को भी दर्शाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की चुनिंदा याद ख़तरनाक तुष्टिकरण की राजनीति का एक रूप है और देश को इसके ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए।

उन्होंने दोहराया कि 13 जुलाई को कश्मीरी हिंदू समुदाय के लिए पीड़ा के दिन के रूप में याद किया जाना चाहिए जिन्होंने कट्टरपंथियों के हाथों अकथनीय भयावहता का सामना किया। शर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि उमर अब्दुल्ला को सांप्रदायिक हिंसा को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में फिर से पेश करने की कोशिश के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। यह ऐतिहासिक विश्वासघात से कम नहीं है।

शर्मा ने सभी ज़िम्मेदार नेताओं और नागरिकों से सच्चाई को पहचानने और सांप्रदायिक हिंसा के किसी भी महिमामंडन के ख़िलाफ़ खड़े होने का आग्रह किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की एकता, शांति और सांस्कृतिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता दोहराई।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

Loving Newspoint? Download the app now