नई दिल्ली, 24 अप्रैल . केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने गुरुवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में डिजीलॉकर के माध्यम से खेल प्रमाणपत्र जारी करने के पहल की शुरुआत की. इस मौके पर उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च का भी उद्घाटन किया.
डॉ. मांडविया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार की हर खेल पहल खिलाड़ी-केंद्रित है. उन्होंने बताया कि नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2024, नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी 2024 और एज फ्रॉड के खिलाफ नेशनल कोड 2025 जैसे कदम सरकार की पारदर्शिता और सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. मांडविया ने ऐलान किया कि डिजीलॉकर से जुड़े खेल प्रमाणपत्र जल्द ही नेशनल स्पोर्ट्स रिपॉजिटरी सिस्टम से जोड़े जाएंगे. इससे खिलाड़ियों को सरकार द्वारा मिलने वाली नकद पुरस्कार राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से उनके बैंक खातों में सीधे मिलेगी.
उन्होंने कहा कि अब खिलाड़ी को सरकार से इनाम पाने के लिए आवेदन नहीं करना पड़ेगा. जब पूरी दुनिया ने देखा है कि उसने पदक जीता है, तो फिर प्रमाण देने की जरूरत क्यों? मांडविया ने 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की तैयारी के रोडमैप का जिक्र किया और 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी में भी रुचि दिखाई. उन्होंने ‘वन स्पोर्ट–वन कॉरपोरेट’ नीति की घोषणा करते हुए बताया कि इससे खेल महासंघों को कॉरपोरेट सहयोग मिलेगा और पीपीपी मॉडल के तहत उच्च प्राथमिकता वाले खेलों के लिए ओलंपिक प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाएंगे.
ओलंपिक रजत पदक विजेता और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्डी मीराबाई चानू ने सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा, अब हमें जरूरी दस्तावेज के लिए घर भागने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. डिजीलॉकर से प्रमाणपत्र मिलना हम जैसे खिलाड़ियों के लिए बड़ी राहत है.
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दुबे