–सरकार ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की
प्रयागराज, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । माब लीचिग रोकने तथा ऐसे मामलों में कार्रवाई करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की आपराधिक जनहित याचिका की पोषणीयता पर राज्य सरकार ने आपत्ति जताई है। याचिका में तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ (2018) मामले में मॉब लिंचिंग रोकने और ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का अनुपालन करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की पीठ को अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सूचित किया कि वह इस मामले में सरकार का पक्ष रखना चाहते हैं। प्रकरण की सुनवाई 15 जुलाई को होगी। अधिवक्ता सैयद अली मुर्तज़ा, सीमाब कय्यूम और रज़ा अब्बास के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की गई है। कुछ घटनाओं का भी उल्लेख है और इनमें अलीगढ़ में मई 2025 में हुई घटना भी शामिल है।
याचिका में हाईकोर्ट से यह आग्रह किया गया है कि वह राज्य सरकार को निर्देश दे कि मॉब लिंचिंग के मामलों से निपटने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना और परिपत्र जारी किए जाने और ऐसे मामलों में स्टेट्स रिपोर्ट बताए। डीजीपी को निर्देश दिया जाए कि वह पिछले पांच वर्षों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की आपराधिक जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। भीड़-हिंसा के मामलों के लिए विशेष या फास्ट-ट्रैक अदालतों के गठन और मुकदमों की वर्तमान स्थिति बताई जाए।
नोडल अधिकारियों और पुलिस खुफिया प्रमुखों के साथ पिछले पांच वर्षों में आयोजित तिमाही समीक्षा बैठकों के परिपत्र और कार्यवृत्त प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए। राज्य को निर्देश दिया जाए कि वह सीआरपीसी की धारा 357 ए के तहत मुआवजा योजना और पीड़ितों को दिए गए मुआवजे का विवरण प्रस्तुत करें। साथ ही अलीगढ़ घटना के पीड़ितों को मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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