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क्राइम ब्रांच ने नेपाली नागरिकों को ठगने वाले रैकेट का किया भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

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नई दिल्ली, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे बड़े वीजा फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो नेपाली नागरिकों को नौकरी दिलाने के नाम पर भारी-भरकम रकम ऐंठ रहा था। इस मामले में पुलिस ने गैंग के सरगना जयकाब (41) और उसके साथी रूपेश (42) को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के कब्जे से 13 नेपाली पासपोर्ट और कई अहम डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं। पुलिस जांच में अब तक यह खुलासा हुआ है कि गैंग ने 19 नेपाली नागरिकों को सर्बिया में रोजगार दिलाने का लालच देकर लगभग 70 लाख रुपये की ठगी की।

क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह ने पुलिस मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर बताया कि मामला तब उजागर हुआ जब नेपाल के रहने वाले सुजन खड़्का (22) ने क्राइम ब्रांच को लिखित शिकायत दी। उसने आरोप लगाया कि अप्रैल 2024 में जयकाब नाम का शख्स उससे और उसके साथियों से मिला और खुद को ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पेश किया, जो सर्बिया में नौकरी दिला सकता है। जयकाब ने उन्हें नकली वीजा और जॉब ऑफर लेटर दिखाए और इसी भरोसे में 19 नेपाली युवाओं ने अपने मूल पासपोर्ट उसके हवाले कर दिए। मई 2024 में आरोपितों ने प्रति व्यक्ति 3,500 यूरो यानी करीब 70 लाख रुपये वसूले। यह रकम डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्यूआर कोड के ज़रिए आरोपियों के सहयोगियों के खातों में जमा कराई गई।

इसके बाद जुलाई 2025 में सभी पीड़ित नेपाल से दिल्ली आए, ताकि अपने पासपोर्ट पर वीज़ा लगवाकर आगे की उड़ान पकड़ सकें। लेकिन यहां आकर उनके साथ धोखा हो गया। आरोपित लगातार टालमटोल करता रहा, न पासपोर्ट लौटाए न वीज़ा दिए। जब पीड़ितों ने उससे पैसा और दस्तावेज़ वापस मांगे तो उसने न केवल इनकार किया, बल्कि जान से मारने की धमकी तक दी। बाद में जांच में पता चला कि सभी वीज़ा और ऑफर लेटर फर्जी थे।

डीसीपी के अनुसार शिकायत दर्ज होने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने छापेमारी की और 25 अगस्त को जयकाब को ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से 13 नेपाली पासपोर्ट और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिसमें फर्जी वीज़ा और बातचीत से जुड़े कई अहम चैट मिले। पूछताछ में उसने अपने साथियों सचिन, जॉर्ज उर्फ बिजोज और रूपेश का नाम बताया। आगे की कार्रवाई में पुलिस ने रूपेश को छावला, दिल्ली से गिरफ्तार किया। उसके पास से दो मोबाइल फोन और कई बैंकिंग ट्रांजैक्शन के सबूत मिले।

पुलिस के अनुसार यह गैंग बेहद संगठित तरीके से काम करता था। सबसे पहले ये लोग नेपाल से ऐसे युवाओं को टारगेट करते थे जो विदेश नौकरी की चाह रखते थे। नेपाली भाषा में बातचीत कर उनका विश्वास जीतते थे। फिर नकली दस्तावेज़ और वीज़ा दिखाकर उनसे पैसे और पासपोर्ट ले लेते थे। पैसे की वसूली डिजिटल ट्रांजैक्शन और हवाला नेटवर्क दोनों के जरिए की जाती थी। जांच में सामने आया कि करीब 60 लाख रुपये नेपाल से भारत लाए गए, जिनमें से एक हिस्सा हवाला डीलरों के माध्यम से जयकाब तक पहुंचा और करीब 20 लाख रुपये उसकी पत्नी और दोस्तों के खातों में जमा किए गए।

पुलिस का कहना है कि आरोपित जयकाब मूल रूप से बिजनौर उप्र का रहने वाला है। वह पहले ट्रैवल एजेंट का काम करता था। नेपाली भाषा जानने के कारण वह नेपाली युवाओं को आसानी से झांसे में ले लेता था। वहीं रूपेश मूल रूप से बिहार के सीवान का रहने वाला है और पिछले 15 साल से ट्रैवल एजेंसी से जुड़ा था। दोनों ने मिलकर नेपाल और भारत के कई युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने का लालच देकर ठगा।

डीसीपी के अनुसार पुलिस टीम फिलहाल अन्य आरोपिताें की तलाश कर रही है। पुलिस का कहना है कि आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं। दिल्ली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि विदेश में नौकरी दिलाने का दावा करने वाले किसी भी एजेंट से पहले पूरी तरह जांच-पड़ताल कर लें, ताकि ठगी से बचा जा सके।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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