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झाबुआ: ई-समंस एवं वारंट प्रक्रिया के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला आयोजित

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झाबुआ: मध्य प्रदेश, 28 जून (Udaipur Kiran) । भोपाल में आयोजित आइ सी जे एस (इंटर आपेरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) कार्यशाला में हुए निर्णय अनुसार प्राप्त निर्देशों के अनुक्रम में शनिवार को जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम में सीसीटीएनएस प्रणाली अंतर्गत ई-समंस एवं ई-वारंट की प्रक्रिया के प्रभावी क्रियान्वयन केेलिए प्रधान जिला न्यायाधीश के मुख्य आतिथ्य में एक कार्यशाला आयोजित की गई। आयोजित कार्यशाला में ई-समंस/वारंट के इंद्राज, तामिली की प्रक्रिया एवं पोर्टल पर अद्यतन करने के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान किए गए।

आयोजित कार्यशाला में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती विधि सक्सेना, पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस.बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे, समस्त एसडीओपी, विभिन्न न्यायालयों में कार्यरत समस्त कोर्ट मुहर्रिर ।न्यायालयीन अधिकारी, एवं लोक अभियोजन कार्यालय के प्रतिनिधि ने सहभागिता की।

उल्लेखनीय है कि भोपाल में आयोजित आय सी जे एस कार्यशाला में हुए निर्णय अनुसार निर्देश प्राप्त हुए थे कि दिनांक 28 जून 2025 को प्रधान जिला न्यायाधीश के समन्वय से जिले में कार्यरत समस्त कोर्ट मोहर्रिरों को ई-समंस प्रक्रिया संबंधी प्रशिक्षण दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। आय सी जे एस के उक्त निर्देश के पालन में उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान सीसीटीएनएस प्रशिक्षक द्वारा उपस्थित मोहर्रिरों को ई-समंस एवं वारंट जारी करने, तामिली की प्रक्रिया एवं रिपोर्टिंग सिस्टम की बारीकियों को प्रायोगिक रूप में समझाया गया।

कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक ने सभी कोर्ट मोहर्रिरों को निर्देशित किया कि डिजिटल न्याय प्रक्रिया को सशक्त बनाने हेतु समयबद्ध एवं सटीक कार्य करना सुनिश्चित करें, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता व गति आए। कार्यशाला के दौरान पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा निर्देश देते हुए कहा गया कि एमएलसी (मेडिको लीगल केस) रिपोर्ट अब सी सी टी एन एस (Crime and Criminal Tracking Network and Systems) पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रेषित की जाए। साथ ही, जिला चिकित्सालय द्वारा मेडलेपर सॉफ्टवेयर के माध्यम से रिपोर्ट भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे रिपोर्टों का निर्बाध और सुरक्षित डिजिटल आदान-प्रदान हो सके।

इसके साथ ही अभियोजन कार्यालय को भेजी जाने वाली केस डायरी की स्क्रूटनी तथा विधिक राय की प्रक्रिया अब मैन्युअल न रखी जाए, बल्कि ‘ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल’ के माध्यम से ऑनलाइन की जाए, जिससे पारदर्शिता, समयबद्धता और डिजिटल ट्रैकिंग सुनिश्चित की जा सके।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा

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