काठमांडू, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते के एक बिंदु को लेकर नेपाल परेशान हो उठा है। भारत के जिस भू-भाग को नेपाल अपना होने का दावा करता है, उस भू-भाग को लेकर भारत और चीन ने समझौता कर लिया। इससे नाराज नेपाल ने अपने दोनों पड़ोसी देशों को अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए डिप्लोमैटिक नोट भेजने की तैयारी कर रहा है।
मंगलवार को भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते में रहे 9 नंबर की सहमति से नेपाल सरकार नाराज है और इसका विरोध करते हुए दोनों देशों को डिप्लोमैटिक नोट भेजने की तैयारी कर रही है, इसके लिए विदेश मंत्रालय में आपात बैठक बुलाई गई है। इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से बयान जारी करते हुए भारत-चीन के बीच हुए समझौते का विरोध किया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लोक बहादुर पौडेल ने कहा कि भारत और चीन के बीच हुए समझौते के 9 नंबर में भारत और चीन के बीच व्यापारिक दृष्टि से जिस लिपुलेक पास का जिक्र किया गया, वह नेपाल का अभिन्न अंग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि लिपुलेक को लेकर नेपाल अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर चुका है। इस बयान में कहा गया है कि लिपुलेक के आसपास कोई भी निर्माण कार्य नहीं करने के लिए भारत से आग्रह किया जा चुका है।
नेपाल ने दावा किया है कि लिपुलेक और लिंपियाधुरा को लेकर उसने चीन को आधिकारिक जानकारी भी साझा की है। नेपाल ने चीन को अपने नए नक्शे को मान्यता देने के लिए कई बार पत्राचार किए जाने की जानकारी दी। एकबार फिर से नेपाल ने चीन से आग्रह किया है कि वह नेपाल के अभिन्न अंग को लेकर किसी तीसरे देश के साथ कोई समझौता न करे।
नेपाल भारत के लिपुलेक और लिंपियाधुरा पर अपना दावा करता रहा है। वर्ष 2021 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने भारत के लिपुलेक और लिंपियाधुरा पर अपना दावा करते हुए नक्शा जारी कर दिया था। इतना ही नहीं उस समय ओली सरकार ने संसद में इस नक्शे को सरकारी प्रयोजन में लाने के लिए संविधान संशोधन तक किया था। इस बात को लेकर दोनों देशों के बीच कई महीनों तक कूटनीतिक विवाद चलता रहा।
नेपाल की ओली सरकार को यह उम्मीद थी कि भारत के जिस भू-भाग पर वह अपना दावा कर रहा है उस मुद्दे पर कम से कम चीन का समर्थन मिल सकता है पर चीन ने भारत के साथ हाल ही में जो समझौता किया है, उसमें लिपुलेक को व्यापारिक मार्ग के रूप में प्रयोग करने को लेकर दोनों देशों में सहमति बन गई है।
चीन द्वारा उस भू-भाग को भारत का मान लेना नेपाल के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इस समय नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने इस विषय पर अपनी धारणा बनाने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन की बैठक बुलाई है। उधर, विदेश मंत्रालय में भी एक अहम बैठक चल रही है, जिसमें दोनों देशों को डिप्लोमैटिक नोट भेजने की तैयारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कूटनीतिक चैनल के जरिए दोनों देशों को इस संबंध में पत्र भेजा जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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