अलीगढ़, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । सिटीजन सोसाइटी अलीगढ़ ने अलीगढ़ की शाही जामा मस्जिद में अंग्रेजों से लड़ते हुए 1857 में शहीद हुए मौलाना अब्दुल जलील और उनके 72 साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। जिन्हें अलीगढ़ की जामा मस्जिद में दफनाया गया था।
इस अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए सभा के अध्यक्ष अलीगढ़ के पूर्व मेयर मुहम्मद फुरकान ने कहा कि सेनानियों के इतिहास को समझना और संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। जब तक हमारे बुजुर्गों का इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों की उपलब्धियां और गाथाएं नई पीढ़ी तक नहीं पहुंचेंगी, यह संभव नहीं है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने बुजुर्गों को याद करना हम सभी का पहला कर्तव्य होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि शाही जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती महमूदुल हसन कासमी ने स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए प्रख्यात विद्वानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि युवाओं को इन बुजुर्गों की उपलब्धियों से अवगत कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे महापुरुषों के बलिदानों की एक लम्बी श्रृंखला है, जिसकी बदौलत आज हम स्वतंत्र वातावरण में सांस ले रहे हैं, जो हमारे महापुरुषों के बलिदानों का ही परिणाम है।
वक्ताओं ने बताया कि 1857 के इन सभी शहीदों के शवों को जामा मस्जिद के ऊपरी प्रांगण में लाया गया और मस्जिद के उत्तरी द्वार के बिल्कुल पास दफना दिया गया। जिनकी कब्रें आज भी अपने देश की आजादी के लिए मर मिटने की अद्भुत कहानी बयां करती हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / Abdul Wahid
You may also like
ऊंटनी का दूध इन 20 गंभीर बीमारी को करता है जड़ सेˈ खत्म अगर किसी मंद बुध्दि को इसका दूध पिला दिया जाए तो दिमाग कंप्यूटर से भी तेज़ हो जाता है
रील बनाते समय युवक झरने में बहा, अचानक पानी बढ़ा, दोस्त चिल्लाते रह गए!
किस्मत ने छिन लिए दोनों पैर फिर भी नहीं मानी हार उठाईˈ व्हीलचेयर और निकल पड़ी लोगों का पेट भरने
Upcoming Mobiles: सितंबर में मचेगा धमाल, iPhone 17 Series समेत ये नए स्मार्टफोन्स होंगे लॉन्च!
भारत में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस का खतरा, राजस्थान में जल्द जारी हो सकती है एडवाइजरी