जम्मू, 1 जुलाई (Udaipur Kiran) । व्रतों और पर्वों की तिथियों को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है कि व्रत किस दिन रखें। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून गुरुवार से आरंभ हुए थे और कन्या पूजन व देवी दुर्गा की साख विसर्जन के साथ पूर्ण होंगे। श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष श्रीदुर्गाष्टमी 3 जुलाई गुरुवार तथा श्रीदुर्गा-नवमी 4 जुलाई शुक्रवार को मनाई जाएगी। देवी दुर्गा के कुछ भक्त अष्टमी को और कुछ नवमी को साख विसर्जन एवं कन्या पूजन करते हैं। यदि किसी कारणवश भक्त अष्टमी या नवमी को पूजन न कर पाएं तो चतुर्दशी तिथि को भी यह पूजन किया जा सकता है।
नवरात्रि में उपयोग की गई सारी पूजन सामग्री जैसे कलश, परात में बोए गए ज्वार (देवी साख), मिट्टी व अन्य चीजें किसी नदी या तालाब में विसर्जित करनी चाहिए। प्लास्टिक या पॉलीथीन का विसर्जन न करें, इससे जल प्रदूषण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, 3 से 9 वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप होती हैं। बिना कन्या पूजन के नवरात्र अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। कुछ परिवारों में यह पूजन अष्टमी को, कुछ में नवमी को किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक नौ कन्याओं एवं एक बालक को भोजन कराकर पूजन किया जाता है। कन्याओं के चरण धोकर उन्हें तिलक व मौली बांधी जाती है। खीर, पूरी, हलवा, काले चने आदि प्रसाद स्वरूप बनाए जाते हैं। पूजन के अंत में कन्याओं को भेंट व दक्षिणा दी जाती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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