अफ्रीकी देश घाना की लोकतांत्रिक आदर्शों एवं समावेशी प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता, अफ्रीकी महाद्वीप के लिए प्रेरणा का स्रोत : मोदी
अक्रा (घाना), 3 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अफ्रीकी देश घाना की लोकतांत्रिक आदर्शों एवं समावेशी प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसे नए और जटिल संकटों का सामना कर रही दुनिया को बचाने के लिए वैश्विक शासन प्रणाली में विश्वसनीय और प्रभावी सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री मोदी ने आज घाना की संसद के एक विशेष सत्र को संबोधित किया और ऐसा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। संसद अध्यक्ष अल्बान किंग्सफोर्ड सुमाना बागबिन द्वारा आयोजित इस सत्र में संसद सदस्यों, सरकारी अधिकारियों और दोनों देशों के विशिष्ट मेहमानों ने भाग लिया। उन्होंने माना कि यह संबोधन भारत-घाना संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है, जो दोनों देशों को एकजुट करने वाले आपसी सम्मान और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता के लिए साझा संघर्षों और लोकतंत्र और समावेशी विकास के प्रति एक समान प्रतिबद्धता के माध्यम से बनाए गए भारत और घाना के बीच ऐतिहासिक बंधनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामणि महामा और घाना के लोगों के प्रति उन्हें प्रदान किए गए राष्ट्रीय सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया और इसे स्थायी मित्रता का प्रतीक बताया। घाना के महान नेता डॉ. क्वामे नक्रमाह के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि एकता, शांति और न्याय के आदर्श मजबूत और स्थायी साझेदारी की नींव हैं।
डॉ. नक्रुमा को उद्धृत करते हुए, जिन्होंने एक बार कहा था- जो ताकतें हमें एकजुट करती हैं वे आंतरिक हैं और अधिरोपित प्रभावों से अधिक हैं जो हमें अलग रखती हैं और जिन्होंने लोकतांत्रिक संस्थानों के निर्माण के दीर्घकालिक प्रभाव पर बहुत जोर दिया, प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों के पोषण के महत्व को रेखांकित किया। यह देखते हुए कि भारत ने लोकतंत्र की जननी के रूप में लोकतांत्रिक लोकाचार को अपनी संस्कृति के हिस्से के रूप में अपनाया है, प्रधानमंत्री ने भारत में लोकतंत्र की गहरी और जीवंत जड़ों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विविधता में एकता की शक्ति के प्रमाण के रूप में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक शक्ति की ओर इशारा किया, जो घाना की अपनी लोकतांत्रिक यात्रा में प्रतिध्वनित मूल्य था।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी और साइबर खतरों जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और वैश्विक शासन में एक सामूहिक वैश्विक दक्षिण आवाज का आह्वान किया। इस संदर्भ में उन्होंने भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने को रेखांकित किया।
श्री मोदी ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी विश्व व्यवस्था तेजी से बदल रही है। प्रौद्योगिकी में क्रांति, वैश्विक दक्षिण का उदय और बदलती जनसांख्यिकी इसकी गति और पैमाने में योगदान दे रही है। पिछली शताब्दियों में मानवता द्वारा सामना की गई औपनिवेशिक शासन जैसी चुनौतियों का सामना करना अभी भी विभिन्न रूपों में जारी है। दुनिया जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसे नए और जटिल संकटों का भी सामना कर रही है। पिछली शताब्दी में बनाई गई संस्थाएं प्रतिक्रिया देने के लिए संघर्ष कर रही हैं। बदलती परिस्थितियों में वैश्विक शासन में विश्वसनीय और प्रभावी सुधारों की आवश्यकता होती है। ग्लोबल साउथ को आवाज दिए बिना प्रगति नहीं हो सकती। हमें नारों से भी ज्यादा की जरूरत है। हमें कार्रवाई की जरूरत है। यही कारण है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान, हमने एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के दृष्टिकोण के साथ काम किया। हमने वैश्विक उच्च तालिका में अफ्रीका के सही स्थान पर जोर दिया। हमें गर्व है कि अफ्रीकी संघ हमारी अध्यक्षता के दौरान जी-20 का स्थायी सदस्य बना।
उन्होंने कहा, भारत और घाना के इतिहास औपनिवेशिक शासन के निशानों को दर्शाते हैं, लेकिन हमारी आत्माएँ हमेशा स्वतंत्र और निडर बनी रही हैं। हम अपनी समृद्ध विरासत से शक्ति और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। हमें अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता पर गर्व है। हमने स्वतंत्रता, एकता और गरिमा में निहित राष्ट्रों का निर्माण किया। हमारे रिश्ते की कोई सीमा नहीं है। और आपकी अनुमति से, मैं कह सकता हूं, हमारी दोस्ती आपके प्रसिद्ध ‘शुगरलोफ’ अनानास से भी अधिक मधुर है। राष्ट्रपति महामा के साथ, हमने अपने संबंधों को एक व्यापक साझीदारी तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने एक बड़ा परिवर्तन देखा है। भारत के लोगों ने शांति, सुरक्षा और विकास में अपना विश्वास व्यक्त किया है। पिछले साल, उन्होंने लगातार तीसरी बार उसी सरकार को फिर से चुना। कुछ ऐसा जो छह दशकों से अधिक समय के बाद हुआ। आज भारत सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था है। स्थिर राजनीति और सुशासन की नींव पर भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हम पहले से ही वैश्विक विकास में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं। हमारी जनसांख्यिकी इसके लाभांश का भुगतान कर रही है। भारत के पास अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। भारत एक नवाचार और प्रौद्योगिकी केंद्र है, जहां वैश्विक कंपनियां अभिसरण करना चाहती हैं। हमें विश्व की फार्मेसी के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारतीय महिलाएं आज विज्ञान, अंतरिक्ष, विमानन और खेलों में अग्रणी हैं। भारत चंद्रमा पर उतरा। और, आज एक भारतीय कक्षा में है जो हमारे मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को पंख दे रहा है। जब हम आजादी के 100 वर्ष मना रहे हैं तो भारत के लोगों ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। जैसे-जैसे घाना प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ना जारी रखेगा, भारत इस मार्ग पर आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा।
प्रधानमंत्री ने घाना की जीवंत संसदीय प्रणाली की सराहना की और दोनों देशों की विधायिकाओं के बीच बढ़ते आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया। इस संदर्भ में उन्होंने घाना- भारत संसदीय मैत्री सोसाइटी की स्थापना का स्वागत किया।
वर्ष 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भारत के लोगों के संकल्प को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्रगति और समृद्धि की खोज में घाना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक उठा-पटक, हर किसी के लिए चिंता का कारण है। ऐसे में भारत का लोकतंत्र, आशा की किरण बना हुआ है। उसी प्रकार, भारत की विकास यात्रा, वैश्विक विकास को गति देने वाली है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र, एक ऐसा स्तंभ है, जो जितना मज़बूत होगा, दुनिया को उतना ही सशक्त बनाएगा। वैश्विक स्थिरता बढ़ाने में योगदान करेगा। वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में भारत की लोकतांत्रिक स्थिरता आशा की किरण के रूप में चमकती है। भारत की तीव्र प्रगति वैश्विक विकास के लिए एक उत्प्रेरक है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत दुनिया के लिए ताकत का एक स्तंभ है। एक मजबूत भारत अधिक स्थिर और समृद्ध दुनिया में योगदान देगा। अफ्रीका की विकास यात्रा में भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है। हम अफ्रीका के लोगों के लिए एक उज्ज्वल और टिकाऊ भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अफ्रीका के विकास ढांचे, एजेंडा 2063 का समर्थन करते हैं। अफ्रीका के लक्ष्य हमारी प्राथमिकताएं हैं। हमारा दृष्टिकोण बराबर के रूप में एक साथ बढ़ना है। अफ्रीका के साथ हमारी विकास साझेदारी मांग-संचालित है। यह स्थानीय क्षमताओं के निर्माण और स्थानीय अवसरों के सृजन पर केंद्रित है। हमारा उद्देश्य केवल निवेश करना नहीं है, बल्कि उसे सशक्त बनाना है। आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी प्रणालियों को विकसित करने में मदद करना।
श्री मोदी ने कहा, इस साझीदारी को और गति देना मेरे लिए सम्मान की बात है। 2015 में हमने भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। राष्ट्रपति महामा हमारे प्रतिष्ठित मेहमानों में से एक थे। 2017 में भारत ने अफ्रीकी विकास बैंक की वार्षिक बैठक की मेजबानी की। हमने अफ्रीका के 46 देशों में अपनी राजनयिक उपस्थिति का विस्तार किया है। पूरे महाद्वीप में 200 से अधिक परियोजनाएं कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे और औद्योगिक क्षमता को बढ़ाती हैं। हर साल, हमारा भारत-अफ्रीका व्यापार सम्मेलन नए अवसर पैदा करता है। घाना में हमने पिछले साल टेमा-मपाकादन रेल लाइन का उद्घाटन किया था। यह अफ्रीकी क्षेत्र के इस हिस्से में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है। हम अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत आर्थिक एकीकरण में तेजी लाने के घाना के अपने प्रयासों का स्वागत करते हैं। घाना के पास इस क्षेत्र में आईटी और नवाचार केंद्र बनने की भी अपार क्षमता है। हम सब मिलकर एक ऐसे भविष्य को आकार देंगे जो वादे और प्रगति से भरा होगा।
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(Udaipur Kiran) / सचिन बुधौलिया
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