Next Story
Newszop

MP में आगामी एसआई और आरक्षक भर्ती परीक्षा में सुरक्षा बढ़ाई, आईरिस स्कैन से होगी प्रवेश जांच

Send Push

मध्य प्रदेश में 2023 में हुई आरक्षक भर्ती परीक्षा में आधार के बायोमैट्रिक डेटा में बदलाव कर फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) इस बार परीक्षा में अतिरिक्त सतर्कता बरतने जा रहा है। अक्टूबर-नवंबर में होने वाली उप निरीक्षक (SI) और आरक्षक भर्ती परीक्षा में संभावित फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा और जांच प्रणाली तैयार की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, इस बार परीक्षा केंद्र पर प्रवेश के लिए परीक्षार्थियों की आंखों की पुतली (आईरिस) स्कैन करना अनिवार्य होगा। इस प्रक्रिया का मकसद है कि कोई भी उम्मीदवार दूसरे की जगह परीक्षा में शामिल न हो सके। आईरिस स्कैन बायोमैट्रिक पहचान की सबसे भरोसेमंद तकनीक मानी जाती है और इससे आधार डेटा में होने वाली कोई भी छेड़छाड़ तुरंत पकड़ी जा सकेगी।

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के अधिकारी ने बताया कि तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:

  • आईडी वेरिफिकेशन: उम्मीदवार की पहचान सत्यापित करने के लिए फोटो, आधार और अन्य दस्तावेज जांचे जाएंगे।

  • बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन: आईरिस और फिंगरप्रिंट स्कैन के माध्यम से उम्मीदवार का बायोमैट्रिक डेटा आधार के साथ मैच किया जाएगा।

  • सुरक्षा निगरानी: परीक्षा केंद्र पर विशेष निगरानी और टीमों की तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी तरह की धांधली या अनुचित गतिविधि को रोका जा सके।

  • इस बार की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों ने कहा है कि पिछले साल के अनुभवों से यह स्पष्ट हो गया कि पारंपरिक फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन और आधार डेटा जांच पर्याप्त नहीं है। उम्मीदवारों द्वारा बायोमैट्रिक में बदलाव करने की घटनाओं से न केवल परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों का हक भी छिन जाता है।

    इस नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष रहे। अधिकारी ने यह भी कहा कि इस बार किसी भी प्रकार की अनियमितता या फर्जीवाड़ा करने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    परीक्षार्थियों और अभिभावकों से भी आग्रह किया गया है कि परीक्षा के नियमों का पालन करें और आईरिस स्कैन जैसी प्रक्रिया को गंभीरता से लें। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम उम्मीदवारों के हित और परीक्षा की ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि बायोमैट्रिक तकनीक का इस्तेमाल अब भविष्य की सभी बड़े पैमाने की भर्ती परीक्षाओं में अनिवार्य हो सकता है। इससे न केवल धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी, बल्कि योग्य उम्मीदवारों को उनके हक तक पहुँचने में भी आसानी होगी।

    इस प्रकार, मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की यह नई पहल आगामी उप निरीक्षक और आरक्षक भर्ती परीक्षा को सुरक्षित, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

    Loving Newspoint? Download the app now