(राष्ट्रीय समाचार) अजीत मेंदोला। नई दिल्ली : हाल ही में अहमदाबाद में हुए अधिवेशन के बाद कांग्रेस पार्टी में 2009-2010 जैसे हालात फिर से उभरने लगे हैं। युवा और अनुभवी नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। अधिवेशन के बाद एक मुहिम शुरू की गई है जिसमें पुराने नेताओं को रिटायरमेंट के लिए कहा जा रहा है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी के करीबी नेता शामिल हैं।
पार्टी ने इस बार अधिवेशन में युवा नेताओं को अधिक बोलने का अवसर दिया, जिसके बाद युवा बनाम अनुभवी नेताओं की मुहिम तेज हो गई। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा हो रही है। विभिन्न राज्यों में प्रमुख नेताओं के बीच अलग-अलग मुहिम चलाई जा रही हैं, जिससे पार्टी में गुटबाजी बढ़ रही है। हिंदी बेल्ट के राज्यों जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और हिमाचल पर इसका असर साफ देखा जा रहा है।
पार्टी के शीर्ष नेता संकट में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता पार्टी को संभालने की कोशिश कर रहे हैं
इस अभियान में उन नेताओं को पार्टी का भविष्य बताया जा रहा है जो अन्य दलों से आए हैं या जिनका पार्टी को जीताने में कोई खास योगदान नहीं रहा। बीजेपी से हाथ मिलाने वाले नेताओं को भी कांग्रेस का भविष्य बताया जा रहा है, जिससे पार्टी के बड़े धड़े में नाराजगी बढ़ रही है। यह सब तब हो रहा है जब ईडी के चलते पार्टी पर संकट गहरा हो गया है।
राहुल गांधी की चुनौतियाँ राहुल गांधी को समझ नहीं आ रहा कि युवा नेता केवल पद के लिए साथ हैं
राहुल गांधी के करीबी कुछ युवा नेताओं ने फिर से युवा बनाम अनुभवी नेताओं की मुहिम शुरू की है। 2009 में भी कुछ युवा नेताओं ने पुराने नेताओं को रिटायर होने के लिए कहा था, जिसका नतीजा पार्टी के विभाजन के रूप में सामने आया। राहुल गांधी ने पार्टी की कमान संभाली, लेकिन युवा और अनुभवी नेताओं के बीच खींचतान बढ़ती गई।
आलाकमान की चुप्पी आलाकमान ने आपसी लड़ाई को खत्म करने की कोशिश नहीं की
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप मुख्यमंत्री टी सिंह देव के बीच तनातनी जारी है। कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डी शिवकुमार के बीच टकराव हो रहा है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और शैलजा के बीच संघर्ष ने पार्टी को कमजोर किया है। आलाकमान ने कभी भी इस लड़ाई को खत्म करने की कोशिश नहीं की।
भविष्य की अनिश्चितता कांग्रेस का भविष्य क्या होगा?
कांग्रेस में युवा बनाम अनुभवी नेताओं के झगड़े के चलते कई राज्य हारे हैं। 2019 के आम चुनाव में मुद्दों को लेकर टकराव सामने आया। राहुल गांधी के करीबी युवा नेताओं ने धीरे-धीरे पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया। अब एक बार फिर 2025 में हालात पहले जैसे बनने लगे हैं। पार्टी को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है, अन्यथा बीजेपी को इसका फायदा मिलता रहेगा।
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