News India Live, Digital Desk: बचपन में गणित पढ़ते समय क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया कि सारे मुश्किल फॉर्मूले और थ्योरी विदेशी वैज्ञानिकों ने ही क्यों बनाए? क्या भारत ने गणित में कभी कुछ नहीं किया? अगर आपके मन में भी यह सवाल था, तो अब इसका जवाब बच्चों को स्कूल की किताबों में ही मिल जाएगा।एनसीईआरटी (NCERT) ने एक बहुत बड़ा और ज़रूरी कदम उठाते हुए 7वीं क्लास की गणित की किताब को पूरी तरह से बदल दिया है। अब हमारे बच्चे सिर्फ पाइथागोरस या दूसरे विदेशी गणितज्ञों के बारे में नहीं पढ़ेंगे, बल्कि वे यह भी जानेंगे कि उनसे सदियों पहले भारत के महान ऋषि-मुनि और गणितज्ञों ने ही Algebra और Geometry की नींव रख दी थी।क्यों किया गया यह बड़ा बदलाव?यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किया गया है, जिसका मकसद बच्चों को अपनी जड़ों, अपनी विरासत और भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना है। एनसीईआरटी के डायरेक्टर, दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि अब तक हमारी किताबों में जो पढ़ाया जाता था, उसमें एक औपनिवेशिक मानसिकता (colonial mindset) की झलक थी। हम हमेशा यह पढ़ते आए कि हर बड़ी खोज पश्चिम में ही हुई, जबकि सच यह है कि ज्ञान-विज्ञान का असली सूरज भारत में ही उगा था।अब बच्चे क्या नया सीखेंगे?नई किताब में अब बच्चों को यह पढ़ाया जाएगा:असली 'फादर ऑफ अलजेब्रा': बच्चों को यह सिखाया जाएगा कि बीजगणित (Algebra) की शुरुआत भारत में ही हुई थी। आर्यभट्ट और ब्रह्मगुप्त जैसे महान गणितज्ञों ने अक्षरों को अज्ञात संख्याओं (unknowns) के रूप में इस्तेमाल करने की तकनीक सदियों पहले ही खोज ली थी।पाइथागोरस से पहले बौधायन: हम सबने पाइथागोरस प्रमेय (Pythagorean theorem) के बारे में पढ़ा है। लेकिन नई किताब बताएगी कि उनसे लगभग 300 साल पहले, हमारे ऋषि बौधायन ने अपने ग्रंथ 'बौधायन सुल्बसूत्र' में इस प्रमेय के बारे में विस्तार से लिख दिया था। अब बच्चे इसे 'बौधायन-पाइथागोरस प्रमेय' के नाम से भी जानेंगे।'शून्य' का सफर: दुनिया को 'शून्य' (Zero) का तोहफा देने वाले भारत के योगदान के बारे में अब बच्चों को और गहराई से बताया जाएगा।इस पैनल का हिस्सा रहे प्रोफेसर वी. रविंद्रन का कहना है कि इन बदलावों का मकसद बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और गर्व की भावना पैदा करना है। जब एक बच्चा यह जानेगा कि जिस गणित से उसे डर लगता है, उसकी शुरुआत तो उसी के देश में हुई थी, तो उसका विषय के प्रति नजरिया ही बदल जाएगा।यह सिर्फ किताब में एक चैप्टर का बदलाव नहीं है, बल्कि यह उस मानसिकता का बदलाव है जो हमें सालों से यह मानने पर मजबूर करती आई कि हम ज्ञान के लिए हमेशा पश्चिम के मोहताज रहे हैं।
You may also like

मध्य प्रदेश पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में मिल रही सफलता

विवि कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी निष्ठापूर्वक करें जिम्मेदारी का निर्वहनः शुक्ल

महाविद्यालयों के रखरखाव और सुविधाओं पर ध्यान दें प्राचार्य : उच्च शिक्षा आयुक्त

ग्वालियर का सर्वांगीर्ण विकास ही हमारा लक्ष्य: ऊजा मंत्री तोमर

मप्रः समाधान योजना में लगेंगे 400 से ज्यादा शिविर





