मनीला: कनाडा और फिलीपींस ने रविवार को एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील का उद्देश्य युद्ध अभ्यासों को बढ़ावा देना और चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए सुरक्षा गठजोड़ का विस्तार करना है। मनीला स्थित राष्ट्रीय रक्षा विभाग ने बताया कि फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्टो टेओडोरो जूनियर ने अपने कनाडाई समकक्ष डेविड मैकगिन्टी के साथ विजिटिंग फोर्सेज स्टेटस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं।   
   
फिलीपींस और कनाडा दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता के कट्टर आलोचक हैं। दोनों चीन के रवैये की आलोचना करते रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों ने चीन का मुकाबला करने के लिए ये समझौता किया है। कनाडा और दूसरे पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। यह इसी रणनीति का एक विस्तार है।
     
गठबंधन मजबूत करने पर नजरकनाडा के साथ समझौते की यह रणनीति फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के उन प्रयासों के अनुरूप है, जिनमें वे अन्य देशों के साथ रक्षा संबंध बनाना चाहते हैं। वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि विवादित जल क्षेत्र में सैन्य रूप से बेहतर चीन का सामना करने के लिए फिलीपींस की कम वित्तपोषित सेना की मदद की जा सके।
     
चीन की ओर से फिलीपींस-कनाडा के रक्षा समझौते पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है। बीजिंग ने इससे पहले दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और अन्य देशों के साथ संयुक्त गश्त और युद्ध अभ्यास पर कड़ा एतराज जताया था। चीन ने फिलीपींस पर उपद्रवी गतिविधि करने और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाला देश कहा है।
   
क्या होगा समझौते का असरकनाडा और फिलीपींस की सेनाओं को इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद संयुक्त सैन्य अभ्यास करने और आक्रामकता को रोकने के लिए सुरक्षा गठबंधनों के जाल का विस्तार करने की अनुमति मिल जाएगी। बीजिंग इस जलमार्ग पर सम्पूर्ण रूप से अपना दावा करता है। 2016 के मध्यस्थता निर्णय में 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन के आधार पर चीन के दावों को अमान्य करार दिया गया था।
   
चीन ने इस फैसले को खारिज कर दिया है और फिलीपींस के तट रक्षक और अन्य जहाजों पर शक्तिशाली पानी की तोपों और खतरनाक अवरोधक युद्धाभ्यासों का इस्तेमाल किया है। इसके परिणामस्वरूप टकराव हुए हैं और चालक दल के सदस्य घायल हुए हैं। वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी लंबे समय से चल रहे क्षेत्रीय विवादों में शामिल रहे हैं।
  
फिलीपींस और कनाडा दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता के कट्टर आलोचक हैं। दोनों चीन के रवैये की आलोचना करते रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों ने चीन का मुकाबला करने के लिए ये समझौता किया है। कनाडा और दूसरे पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। यह इसी रणनीति का एक विस्तार है।
गठबंधन मजबूत करने पर नजरकनाडा के साथ समझौते की यह रणनीति फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के उन प्रयासों के अनुरूप है, जिनमें वे अन्य देशों के साथ रक्षा संबंध बनाना चाहते हैं। वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि विवादित जल क्षेत्र में सैन्य रूप से बेहतर चीन का सामना करने के लिए फिलीपींस की कम वित्तपोषित सेना की मदद की जा सके।
चीन की ओर से फिलीपींस-कनाडा के रक्षा समझौते पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है। बीजिंग ने इससे पहले दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और अन्य देशों के साथ संयुक्त गश्त और युद्ध अभ्यास पर कड़ा एतराज जताया था। चीन ने फिलीपींस पर उपद्रवी गतिविधि करने और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाला देश कहा है।
क्या होगा समझौते का असरकनाडा और फिलीपींस की सेनाओं को इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद संयुक्त सैन्य अभ्यास करने और आक्रामकता को रोकने के लिए सुरक्षा गठबंधनों के जाल का विस्तार करने की अनुमति मिल जाएगी। बीजिंग इस जलमार्ग पर सम्पूर्ण रूप से अपना दावा करता है। 2016 के मध्यस्थता निर्णय में 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन के आधार पर चीन के दावों को अमान्य करार दिया गया था।
चीन ने इस फैसले को खारिज कर दिया है और फिलीपींस के तट रक्षक और अन्य जहाजों पर शक्तिशाली पानी की तोपों और खतरनाक अवरोधक युद्धाभ्यासों का इस्तेमाल किया है। इसके परिणामस्वरूप टकराव हुए हैं और चालक दल के सदस्य घायल हुए हैं। वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी लंबे समय से चल रहे क्षेत्रीय विवादों में शामिल रहे हैं।
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