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ट्रंप और मुनीर की मुलाकात से खौफ में ईरान, शिया देश को पाकिस्तान से क्यों दिख रहा बड़ा खतरा, अमेरिकी सीक्रेट बेस से है कनेक्शन

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तेहरान: इजरायल के हमलों से जूझ रहे ईरान को एक नया खौफ सताने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर के साथ वॉइट हाउस में मुलाकात के बाद ईरान अपने पूर्वी पड़ोसी को शक की निगाह से देख रहा है। मुनीर और ट्रंप की मुलाकात के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका ईरान पर हमला करने के लिए पाकिस्तान के एयरबेस का इस्तेमाल कर सकता है। इसमें सबसे अधिक संभावना नूर खान एयरबेस को लेकर है, जिसे पिछले महीने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया था।



ट्रंप ने की पाकिस्तानी मिलिट्री बेस की मांग

इसके पहले कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख से लंच पर मुलाकात के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सैन्य अड्डों पर अमेरिकी पहुंच की मांग की थी। जनरल मुनीर ने तो राष्ट्रपति ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग कर दी थी और उन्हें भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोकने का श्रेय दिया। मुलाकात के दो दिन बाद ही पाकिस्तान सरकार ने घोषणा भी कर दी कि उसने ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।



पाकिस्तानी एयरबेस पर अमेरिका का सीक्रेट कंट्रोल

ट्रंप से मुलाकात के दौरान मुनीर ने पाकिस्तान-ईरान सीमा के पास बढ़ते आतंकवादी खतरे पर भी चिंता जताई थी। अमेरिका के पाकिस्तानी एयरबेस का इस्तेमाल करने की अटकलें ऐसे समय में आई हैं, जब ट्रंप ने कहा है कि वह दो सप्ताह के भीतर इजरायल-ईरान युद्ध में शामिल होने को लेकर फैसला लेंगे। रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित नूर खान एयर बेस के बारे में कहा जाता है कि यह सीक्रेट तौर पर अमेरिका के नियंत्रण में है।



पाकिस्तानी सुरक्षा विशेषज्ञ इम्तियाज गुल ने ये दावा किया है। गुल ने कहा है कि नूर खान एयरबेस पर इस कदर अमेरिकी नियंत्रण है कि पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को भी इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है। उन्होंने यह भी बताया था कि इस एयरबेस पर अक्सर अमेरिकी विमान देखे जाते थे, लेकिन उनके बारे में किसी को जानकारी नहीं दी जाती थी। नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय के अलावा रणनीतिक योजना प्रभाग भी इस एयरबेस के ही पास है, जहां पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का कंट्रोल होता है।



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