लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी का मुख्य मायावती ने विधानसभा चुनाव 2027 की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। वह अपने पुराने वोट बैंक को हासिल करने की कोशिश करती दिख रही हैं। दरअसल, बसपा दलित-मुस्लिम यानी डीवाई समीकरण को साधकर प्रदेश की राजनीति में अपना वर्चस्व स्थापित करती रही हैं। लोकसभा चुनाव 2014 या यूं कहें कि विधानसभा चुनाव 2012 के समय से मायावती का डीवाई समीकरण लगातार कमजोर होता चला गया। मुस्लिम वोट बैंक पर एकमुश्त समाजवादी पार्टी का कब्जा होता दिखा है। वहीं, दलित वोट बैंक में बिखराव भी लगातार हो रहा है।   
   
मायावती की अलग रणनीतियूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की दलित-पिछड़ा वर्ग को लेकर चलने वाली नीतियों के कारण दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाता दिखा। यूपी चुनाव 2022 इसका बड़ा उदाहरण रहा है। वहीं, पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के जरिए अखिलेश यादव ने दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश लोकसभा चुनाव 2024 में की। उनका यह दांव सफल होता दिखा। अब इस पूरी स्थिति को बदलने की कोशिश मायावती करती दिख रही हैं।
     
दलित वोट बैंक को साधने के लिए बसपा सुप्रीमो ने कैडर को मजबूत करना शुरू किया है। वहीं, मुस्लिम वोट बैंक के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए वह योगी सरकार के उन फैसलों पर बात करती दिख रही हैं, जिस पर बात करने से सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अब तक बचते दिखे हैं। यह मायावती की अलग रणनीति को प्रदर्शित कर रहा है।
     
बुलडोजर क्यों है अहम?बुलडोजर एक्शन पर चर्चा ने उत्तर प्रदेश में हुए 2022 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई थी। दरअसल, यूपी चुनाव 2022 के दौरान अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार के बुलडोजर मॉडल पर जोरदार हमला बोला था। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इस हमले को आधार बनाकर सीएम योगी की छवि बुलडोजर बाबा के रूप में स्थापित कर दी। सीएम योगी चुनावी सभाओं में बुलडोजर प्रतीक के तौर पर दिखने लगा था। कानून व्यवस्था के मसले पर सीएम योगी ने बढ़त बनाई। असर चुनावी मैदान में दिखा।
   
बुलडोजर मॉडल पर बयान देकर अखिलेश यादव ने एक बड़े वोट बैंक को नाराज किया, लेकिन इसका फायदा उन्हें मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने में मिला। दरअसल, योगी सरकार ने यूपी के संगठित माफिया के खिलाफ बुलडोजर को एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया। माफिया राज को खत्म करने में बुलडोजर बड़ी भूमिका में रही। अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसारी तक के साम्राज्य को ढाहने में बुलडोजर की भूमिका अहम रही।
   
बुलडोजर बाबा की छवि के साथ सीएम योगी लगातार प्रदेश के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में चर्चित रहे हैं। अभी बिहार चुनाव के दौरान भी बुलडोजर मॉडल काफी चर्चा में रहा है। ऐसे में मायावती यूपी चुनाव 2027 के रणनीति तैयार करते समय बुलडोजर मॉडल एक्शन पर बात करती दिख रही हैं। वह खुलकर कह रही हैं कि सरकार में आने के बाद बुलडोजर एक्शन को रोक दिया जाएगा। मायावती ने इस मामले में बढ़त बनाई है।
   
मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशदरअसल, बहुजन समाज पार्टी से छिटक गए मुसलमानों को फिर अपने पाले में खींचने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती पूरा जोर लगा रही हैं। इसके लिए पहली बार उन्होंने योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े किए। अपनी सरकार बनने पर इसे रोकने का वादा भी किया। इसके साथ-साथ मुसलमान पर द्वेष पूर्ण तरीके से दर्ज किए गए केस को वापस लेने की भी बात बसपा प्रमुख ने कही बुधवार को मुस्लिम भाईचारा संगठन की विशेष बैठक में बसपा सुप्रीमो ने मुसलमान को जोड़ने के लिए हर मंडल में दो-दो सदस्यीय मुस्लिम भाईचारा कमिटी गठित की।
   
बसपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में मायावती ने निर्देश दिया कि मुस्लिम भाईचारा कमेटी उनके चार बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान मुसलमानों के हित में किए गए 100 प्रमुख कार्यों का पर्चा तैयार कर समाज के बीच वितरित करे। मुस्लिम समाज को बसपा से जोड़ने के लिए प्रयास करे। समाज के बीच जाए। इस अखिलेश यादव के पीडीए पॉलिटिक्स के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
  
मायावती की अलग रणनीतियूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की दलित-पिछड़ा वर्ग को लेकर चलने वाली नीतियों के कारण दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाता दिखा। यूपी चुनाव 2022 इसका बड़ा उदाहरण रहा है। वहीं, पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के जरिए अखिलेश यादव ने दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश लोकसभा चुनाव 2024 में की। उनका यह दांव सफल होता दिखा। अब इस पूरी स्थिति को बदलने की कोशिश मायावती करती दिख रही हैं।
दलित वोट बैंक को साधने के लिए बसपा सुप्रीमो ने कैडर को मजबूत करना शुरू किया है। वहीं, मुस्लिम वोट बैंक के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए वह योगी सरकार के उन फैसलों पर बात करती दिख रही हैं, जिस पर बात करने से सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अब तक बचते दिखे हैं। यह मायावती की अलग रणनीति को प्रदर्शित कर रहा है।
बुलडोजर क्यों है अहम?बुलडोजर एक्शन पर चर्चा ने उत्तर प्रदेश में हुए 2022 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई थी। दरअसल, यूपी चुनाव 2022 के दौरान अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार के बुलडोजर मॉडल पर जोरदार हमला बोला था। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इस हमले को आधार बनाकर सीएम योगी की छवि बुलडोजर बाबा के रूप में स्थापित कर दी। सीएम योगी चुनावी सभाओं में बुलडोजर प्रतीक के तौर पर दिखने लगा था। कानून व्यवस्था के मसले पर सीएम योगी ने बढ़त बनाई। असर चुनावी मैदान में दिखा।
बुलडोजर मॉडल पर बयान देकर अखिलेश यादव ने एक बड़े वोट बैंक को नाराज किया, लेकिन इसका फायदा उन्हें मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने में मिला। दरअसल, योगी सरकार ने यूपी के संगठित माफिया के खिलाफ बुलडोजर को एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया। माफिया राज को खत्म करने में बुलडोजर बड़ी भूमिका में रही। अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसारी तक के साम्राज्य को ढाहने में बुलडोजर की भूमिका अहम रही।
बुलडोजर बाबा की छवि के साथ सीएम योगी लगातार प्रदेश के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में चर्चित रहे हैं। अभी बिहार चुनाव के दौरान भी बुलडोजर मॉडल काफी चर्चा में रहा है। ऐसे में मायावती यूपी चुनाव 2027 के रणनीति तैयार करते समय बुलडोजर मॉडल एक्शन पर बात करती दिख रही हैं। वह खुलकर कह रही हैं कि सरकार में आने के बाद बुलडोजर एक्शन को रोक दिया जाएगा। मायावती ने इस मामले में बढ़त बनाई है।
मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशदरअसल, बहुजन समाज पार्टी से छिटक गए मुसलमानों को फिर अपने पाले में खींचने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती पूरा जोर लगा रही हैं। इसके लिए पहली बार उन्होंने योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े किए। अपनी सरकार बनने पर इसे रोकने का वादा भी किया। इसके साथ-साथ मुसलमान पर द्वेष पूर्ण तरीके से दर्ज किए गए केस को वापस लेने की भी बात बसपा प्रमुख ने कही बुधवार को मुस्लिम भाईचारा संगठन की विशेष बैठक में बसपा सुप्रीमो ने मुसलमान को जोड़ने के लिए हर मंडल में दो-दो सदस्यीय मुस्लिम भाईचारा कमिटी गठित की।
बसपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में मायावती ने निर्देश दिया कि मुस्लिम भाईचारा कमेटी उनके चार बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान मुसलमानों के हित में किए गए 100 प्रमुख कार्यों का पर्चा तैयार कर समाज के बीच वितरित करे। मुस्लिम समाज को बसपा से जोड़ने के लिए प्रयास करे। समाज के बीच जाए। इस अखिलेश यादव के पीडीए पॉलिटिक्स के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
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