भारत में हेल्थ चैलेंजेज की बात करें तो डायबिटीज और कार्डियक अरेस्ट दोनों ही समान रूप से खतरनाक हैं। इनका आपस में गहरा संबंध है जो इन्हें और भी घातक बनाता है।
डॉ संजीव चौधरी ,चेयरमैन कार्डियोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि भारत में नॉन-कम्यूनिकेबल डिजीज विशेष रूप से हार्ट डिजीज और डायबिटीज से होने वाली मौतों में तेजी से वृद्धि हुई है, जबकि मलेरिया, डायरिया और तपेदिक जैसी कम्यूनिकेबल डिजीज की मृत्यु दर घटी है। लेकिन, डायबिटीज और सडन कार्डियक अरेस्ट (SCA) का बढ़ता खतरा चिंता का विषय है, खासकर भारत जैसे देशों में जहां डायबिटीज की व्यापकता अधिक है।
कोविड-19 के बाद इनके मरीजों की संख्या में तेजी से उछाल आया है। आखिर डायबिटीज और कार्डियक अरेस्ट का आपस में क्या संबंध है और कौन आपका सबसे बड़ा दुश्मन है चलिए जानते हैं इसके बारे में।(Photo credit):iStock
डायबिटीज और कार्डियक अरेस्ट में संबंध
डॉक्टर के मुताबिक जैसे-जैसे बॉडी में शुगर लेवल बढ़ता है ब्लड वेसल्स और आर्टिरीज को नुकसान पहुंचाना शुरू हो जाता है। जिसकी वजह से दिल पर प्रेशर बढ़ने लगता है, जो हृदय रोग का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के बढ़ते ही हाई ब्लड प्रेशर व हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी बढ़ने लगती है। यही फैक्टर कार्डियक अरेस्ट की एक बड़ी वजह भी है।
डायबिटीज और सडन कार्डियक अरेस्ट
डायबिटीज से पीड़ित लोगों में सडन कार्डियक अरेस्ट का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह एक ऐसी जानलेवा स्थिति है, जिसमें हार्ट अचानक धड़कना बंद कर देता है। भारत और अन्य देशों में, जहां डायबिटीज की व्यापकता बढ़ रही है, यह चिंता विशेष रूप से गंभीर है। इस संबंध को समझना रोकथाम और बेहतर परिणामों के लिए महत्वपूर्ण है।
डायबिटीज पेशेट्स में बढ़ती संवेदनशीलता

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अक्सर हार्ट प्रणाली को प्रभावित करने वाली जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। हाई ब्लड शुगर लेवल ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे आर्टरीज का सख्त होना और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, जो दोनों SCA के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा डायबिटीज,डायबिटिक न्यूरोपैथी का कारण बन सकता है, जो हार्ट के फंक्शंस को नियंत्रित करने में बाधा डालता है। भारत में 60% से अधिक डायबिटीज रोगियों को उच्च रक्तचाप की समस्या भी है, जो हार्ट पर दबाव बढ़ाकर SCA के जोखिम को और गंभीर बनाता है।
लाइफस्टाइल का प्रभाव
लाइफस्टाइल कारक, जैसे स्मोकिंग, इस खतरे को दोगुना करते हैं। शोध के अनुसार, स्मोकिंग करने वाले डायबिटिक रोगियों को हार्ट प्रॉब्लम हो सकती है। इसके अलावा, मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल, जो भारत में आम हैं, स्थिति को और जटिल करते हैं। साथ ही गर्मी का तनाव और संक्रमण भी इन जोखिमों को बढ़ा सकते हैं।
कौन है बड़ा दुश्मन
यह कहना मुश्किल है कि डायबिटीज या कार्डियक अरेस्ट में से कौन बड़ा दुश्मन है, क्योंकि दोनों एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं। डायबिटीज हार्ट डिजीज का आधार तैयार करता है, और SCA अक्सर इसका घातक परिणाम होता है। भारत में, जहां 20-64 वर्ष की आयु के 61% और 65+ आयु के 39% लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। महिलाओं में डायबिटीज से हृदय रोग का खतरा पुरुषों की तुलना में 40% अधिक है, जो इसे और भी चिंताजनक बनाता है।
रोकथाम के उपाय
डायबिटीज और SCA के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाना जरूरी है। नियमित हेल्थ चेकअप, ब्लड शुगर लेवल, बीपी और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी महत्वपूर्ण है। बैलेंस डाइट, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों, और रेग्यूलर एक्सरसाइज ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा धूम्रपान छोड़ना और शराब का सेवन सीमित करना भी जरूरी है। टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की खुराक पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अधिक इंसुलिन लेने से ब्लड शुगर का स्तर खतरनाक रूप से कम हो सकता है, जिससे दौरे, कोमा या कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।
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