पुणे : महाराष्ट्र के पुणे जिले के शिरूर तालुका के पिंपरखेड गांव में रविवार दोपहर एक दर्दनाक घटना घटी, जहां तेंदुए के हमले में 13 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। मृतक की पहचान किसान के बेटे रोहन बॉम्बे के रूप में हुई है। यह इस वर्ष पुणे जिले में तेंदुए के हमले से हुई पांचवीं मौत है। वन विभाग के अनुसार, रोहन अपने घर के सामने खेत के पास खुली जगह में खेल रहा था। दोपहर करीब 3:45 बजे अचानक एक तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। हमले में रोहन गंभीर रूप से घायल हो गया और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। इस घटना की जानकारी मिलते ही गांव में भारी तनाव फैल गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के एक वाहन और रैपिड रिस्पांस फोर्स (RRF) के कार्यालय में आग लगा दी। इस कार्यालय की स्थापना मानव-तेंदुआ संघर्ष की घटनाओं से निपटने के लिए ही की गई थी। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
तेंदुए के हमले की यह दूसरी मौत है
सहायक वन संरक्षक स्मिता राजहंस ने बताया कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विभाग लगातार ग्रामीणों को सतर्क रहने और बच्चों को अकेले बाहर न भेजने की सलाह दे रहा है। पिंपरखेड गांव में तेंदुए के हमले की यह दूसरी मौत है। इससे पहले 12 अक्टूबर को इसी गांव में 5 वर्षीय शिवन्या शैलेश बॉम्बे की मौत तेंदुए के हमले में हुई थी। इसके अलावा 22 अक्टूबर को जम्बूट गांव में 70 वर्षीय भागुबाई रंगनाथ जाधव की भी तेंदुए के हमले में जान चली गई थी। अप्रैल में शिरूर तालुका में 85 वर्षीय महिला और सितंबर में जुन्नार तालुका में 6 वर्षीय बच्चे की मौत समान घटनाओं में हो चुकी है।
13 गांवों के लिए जारी किया था रेड अलर्ट
पिछले 20 वर्षों में यह एक वर्ष में दर्ज हुई दूसरी सबसे अधिक मौतों की संख्या है। बढ़ते हमलों को देखते हुए वन विभाग ने पहले जुन्नार तालुका के 13 गांवों के लिए रेड अलर्ट जारी किया था और ग्रामीणों को सुबह 9 बजे से पहले तथा शाम 5 बजे के बाद बाहर न निकलने की सलाह दी थी। मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने के लिए विभाग ने जागरूकता अभियान तेज किया है और ग्रामीणों को सतर्क रहने के उपाय सिखाए जा रहे हैं। वहीं, तेंदुओं की आबादी नियंत्रण में लाने के लिए राज्य वन विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें 36 मादा और 11 नर तेंदुओं की नसबंदी की अनुमति मांगी गई है। फिलहाल गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और पुलिस बल तैनात कर हालात पर नजर रखे हुए है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
तेंदुए के हमले की यह दूसरी मौत है
सहायक वन संरक्षक स्मिता राजहंस ने बताया कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विभाग लगातार ग्रामीणों को सतर्क रहने और बच्चों को अकेले बाहर न भेजने की सलाह दे रहा है। पिंपरखेड गांव में तेंदुए के हमले की यह दूसरी मौत है। इससे पहले 12 अक्टूबर को इसी गांव में 5 वर्षीय शिवन्या शैलेश बॉम्बे की मौत तेंदुए के हमले में हुई थी। इसके अलावा 22 अक्टूबर को जम्बूट गांव में 70 वर्षीय भागुबाई रंगनाथ जाधव की भी तेंदुए के हमले में जान चली गई थी। अप्रैल में शिरूर तालुका में 85 वर्षीय महिला और सितंबर में जुन्नार तालुका में 6 वर्षीय बच्चे की मौत समान घटनाओं में हो चुकी है।
13 गांवों के लिए जारी किया था रेड अलर्ट
पिछले 20 वर्षों में यह एक वर्ष में दर्ज हुई दूसरी सबसे अधिक मौतों की संख्या है। बढ़ते हमलों को देखते हुए वन विभाग ने पहले जुन्नार तालुका के 13 गांवों के लिए रेड अलर्ट जारी किया था और ग्रामीणों को सुबह 9 बजे से पहले तथा शाम 5 बजे के बाद बाहर न निकलने की सलाह दी थी। मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने के लिए विभाग ने जागरूकता अभियान तेज किया है और ग्रामीणों को सतर्क रहने के उपाय सिखाए जा रहे हैं। वहीं, तेंदुओं की आबादी नियंत्रण में लाने के लिए राज्य वन विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें 36 मादा और 11 नर तेंदुओं की नसबंदी की अनुमति मांगी गई है। फिलहाल गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और पुलिस बल तैनात कर हालात पर नजर रखे हुए है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
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