नई दिल्ली: हाल ही में मोदी सरकार ने अपने 11 साल पूरे किए है। इस दौरान भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद भी तमाम बदलावों को होकर गुजरी। भारतीय लोकतंत्र, संसद व हमारे विधानमंडलों में बेहतर कामकाज के लिए सरकार क्या सोचती है, उसका आगामी रोडमैप क्या है, इसे लेकर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से एनबीटी की विशेष संवाददाता मंजरी चतुर्वेदी ने बातचीत की। पेश है, उसके अंशः
मोदी सरकार के आने के बाद पिछले 11 सालों में संसदीय कार्य और माहौल में किस तरह के बदलाव आए हैं?
मोदी सरकार में कई महत्वपूर्ण संसदीय निर्णय हुए हैं। मसलन रेल बजट और आम बजट को मिलाने और आम बजट को हर साल 1 फरवरी को पेश करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर में समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 370 और उसके तहत राष्ट्रपति के आदेशों के कुछ प्रावधानों को निरस्त किया गया। वहीं पीएम मोदी के भविष्यवादी दृष्टिकोण के चलते देश को सितंबर 2023 में नई संसद मिली, जब संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा पर एक विशेष सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नीति निर्माण में जन प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संसद में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023' पारित किया गया। सरकार ने अब तक 421 बिल पास किए तो वहीं अब तक कुल 1576 पुराने और निरर्थक कानूनों को निरस्त किया गया। कोरोना के दौरान जिस माहौल में संसद के सत्रों का आयोजन किया गया, क्या आप मानते हैं कि संसद के आधुनिकीकरण ने इस आपदा को अवसर में बदलने का मौका दिया?
कोविड महामारी के दौरान भारतीय संसद के लचीलेपन की परीक्षा हुई। इस दौरान अनुच्छेद 85 की संवैधानिक अपेक्षाओं को और अत्यावश्यक विधायी कामों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए तीन सत्रों का आयोजन किया गया। उस मुश्किल दौर में दूरी से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सत्र का आयोजन अलग-अलग में समय में सभी सुरक्षा मानदंडों के साथ किया गया। कागज रहित संसद पर सरकार का खासा जोर रहा। देश की सभी विधानसभाएं कब तक इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगी?
केंद्रीय स्तर पर ई-संसद, एमएमपी को लागू किया जा रहा है। ई-संसद एक एकीकृत डिजिटल प्लैटफॉर्म है, जिसे मुख्य रूप से संसद के दोनों सदनों के कामकाज को कागज रहित बनाने, वास्तविक समय में संसदीय दस्तावेजों और डेटा तक पहुंच प्रदान करने और सांसदों के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा, ई-विधान, एमएमपी के तहत राज्य और संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा), को डिजिटल इंडिया पहल के तहत संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा एक एकीकृत प्लैटफार्म के माध्यम से सभी 37 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के कामकाज को कागज रहित बनाने और विधायी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए लॉन्च किया गया है। नेवा भाषाई समावेशिता के लिए अहम काम कर रही है। इसके तहत 28 राज्यों के विधानमंडलों के साथ समझौता करार हो चुका है। नागरिकों के बीच लोकतांत्रिक संस्कार और मूल्यों को पूरा करने के लिए संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा क्या कदम उठाए गए है?
संसदीय कार्य मंत्रालय युवा पीढ़ी में लोकतांत्रिक संस्कार विकसित करने के उद्देश्य से दिल्ली के स्कूलों, केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, यूनिवर्सिटी कॉलेजों के छात्रों के लिए पारंपरिक रूप से युवा संसद प्रतियोगिताएं आयोजित करता है और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता भी देता है। मोदी सरकार ने 2019 में संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय युवा संसद योजना के तहत डिजिटल प्लैटफॉर्म की शुरुआत की गई।
मोदी सरकार में कई महत्वपूर्ण संसदीय निर्णय हुए हैं। मसलन रेल बजट और आम बजट को मिलाने और आम बजट को हर साल 1 फरवरी को पेश करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर में समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 370 और उसके तहत राष्ट्रपति के आदेशों के कुछ प्रावधानों को निरस्त किया गया। वहीं पीएम मोदी के भविष्यवादी दृष्टिकोण के चलते देश को सितंबर 2023 में नई संसद मिली, जब संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा पर एक विशेष सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नीति निर्माण में जन प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संसद में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023' पारित किया गया। सरकार ने अब तक 421 बिल पास किए तो वहीं अब तक कुल 1576 पुराने और निरर्थक कानूनों को निरस्त किया गया।
कोविड महामारी के दौरान भारतीय संसद के लचीलेपन की परीक्षा हुई। इस दौरान अनुच्छेद 85 की संवैधानिक अपेक्षाओं को और अत्यावश्यक विधायी कामों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए तीन सत्रों का आयोजन किया गया। उस मुश्किल दौर में दूरी से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सत्र का आयोजन अलग-अलग में समय में सभी सुरक्षा मानदंडों के साथ किया गया।
केंद्रीय स्तर पर ई-संसद, एमएमपी को लागू किया जा रहा है। ई-संसद एक एकीकृत डिजिटल प्लैटफॉर्म है, जिसे मुख्य रूप से संसद के दोनों सदनों के कामकाज को कागज रहित बनाने, वास्तविक समय में संसदीय दस्तावेजों और डेटा तक पहुंच प्रदान करने और सांसदों के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा, ई-विधान, एमएमपी के तहत राज्य और संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा), को डिजिटल इंडिया पहल के तहत संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा एक एकीकृत प्लैटफार्म के माध्यम से सभी 37 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के कामकाज को कागज रहित बनाने और विधायी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए लॉन्च किया गया है। नेवा भाषाई समावेशिता के लिए अहम काम कर रही है। इसके तहत 28 राज्यों के विधानमंडलों के साथ समझौता करार हो चुका है।
संसदीय कार्य मंत्रालय युवा पीढ़ी में लोकतांत्रिक संस्कार विकसित करने के उद्देश्य से दिल्ली के स्कूलों, केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, यूनिवर्सिटी कॉलेजों के छात्रों के लिए पारंपरिक रूप से युवा संसद प्रतियोगिताएं आयोजित करता है और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता भी देता है। मोदी सरकार ने 2019 में संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय युवा संसद योजना के तहत डिजिटल प्लैटफॉर्म की शुरुआत की गई।
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