Next Story
Newszop

Operation Sindoor: जिस बहावलपुर में खुद गई मसूद अजहर के परिवार की कब्र, कभी वो था रईसों का गढ़, जिन्ना को दिया था 7 करोड़ दान

Send Push
नई दिल्‍ली: भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजा दी है। पहलगाम आतंकी हमले का बदला भारत ने अपने अंदाज में लिया है। पाकिस्‍तान और पीओके में घुसकर भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने कोटली, मुरीदके और बहावलपुर समेत नौ जगहों पर हमले किए। उसका मुख्य टारगेट जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन थे। ये संगठन पिछले 30 सालों से भारत पर बड़े आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। बहावलपुर जैश का गढ़ माना जाता रहा है। भारत के ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर के परिवार के 10 लोगों का खात्‍मा हो गया। जैश का मुख्यालय यहीं था। यहीं से आतंकी गतिविधियों को चलाया जाता था। जिस बहावलपुर में आज आतंकियों की पौध तैयार होती है, कभी वो बेहद धनी रियासत हुआ करती थी। बहावलपुर के नवाब अपनी अमीरी के लिए जाने जाते थे। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, बहावलपुर रियासत उपमहाद्वीप की सबसे धनी रियासतों में से एक थी।बहावलपुर के नवाबों के पास बेहद समृद्ध खजाना था। पाकिस्तान की स्थापना के समय यहां के नवाब ने जिन्‍ना को सात करोड़ रुपये दिए थे। सरकारी विभागों के एक महीने के वेतन का भी भुगतान किया था। नवाबों की रईसी थी मशहूर नवाबों के पास कई शानदार महल थे, जैसे कि नूर महल, दरबार महल और गुलजार महल, जो उनकी दौलत और शानदार जीवनशैली को दर्शाते हैं। उन्होंने अपनी निजी संपत्ति पंजाब विश्वविद्यालय, किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज और एचीसन कॉलेज, लाहौर की मस्जिद को भी दान कर दी थी।1947 में भारत का विभाजन दर्दनाक घटना थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान का जन्म हुआ। यह सिर्फ एक नए देश का जन्म नहीं था, बल्कि भारतीय इतिहास के हजारों सालों का भी विभाजन था। पाकिस्तान को भी भारतीय इतिहास को अपना मानना चाहिए था। लेकिन, पाकिस्तान ने विभाजन को ही अपना इतिहास मान लिया। भारत में आजादी सिर्फ एक और आक्रमणकारी साम्राज्य का अंत था। यह एक लंबी कहानी का एक छोटा सा हिस्सा था। लेकिन, पाकिस्तान के लिए इतिहास विभाजन के साथ ही खत्म हो गया। जि‍न्‍ना का नवाब ने द‍िए थे 7 करोड़ रुपये विभाजन के बाद ब्रिटिश अधिकारी दोनों देशों के मामलों में व्यस्त रहे। पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री को कराची में अपने ऑफिस में सिर्फ एक टेबल मिली। खजाना भी लगभग खाली था। पाकिस्तान को भारत से 75 करोड़ रुपये मिलने थे। लेकिन, उस पर पहले से ही 40 करोड़ रुपये का कर्ज था। जिन्ना ने हैदराबाद के निजाम से 20 करोड़ रुपये का लोन लिया। बहावलपुर के नवाब ने भी 7 करोड़ रुपये की मदद की। बहावलपुर ने एक महीने के लिए सरकारी कर्मचारियों की सैलरी भी दी। बहावलपुर लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर है। यहां जैश का मुख्यालय 'जामिया मस्जिद सुब्‍हान अल्लाह' परिसर में था। इसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता था। यह परिसर 18 एकड़ में फैला हुआ था। यहां जैश के लिए लोगों को भर्ती किया जाता था। उन्हें पैसे और ट्रेनिंग दी जाती थी। भारतीय हमले में इस मस्जिद को भी निशाना बनाया गया। जैश का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर बहावलपुर का ही रहने वाला है।
Loving Newspoint? Download the app now