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जीवन में आने वाली बाधाएं कैसे होंगी दूर, जानें इन उपायों को

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जीवन में कई बार अनेक प्रकार की कार्य बाधाएं उपस्थित हो जाती हैं जिससे व्यक्ति हताश, चिंतित और दुखी हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नौकरी, व्यवसाय या व्यापार आदि करता है। कभी-कभी कार्यक्षेत्र में एवं घर-परिवार के कार्यों में भी बाधाएं उठ खड़ी होती हैं, जिनका प्रायः कोई समाधान नहीं दिखाई देता। ज्योतिष में इन कार्य बाधाओं का नाश करने के अनेक उपाय दिये गये हैं।

  • तुलसी के तीन-चार पत्तों को ग्रहण करके घर से बाहर जाने पर सभी प्रकार की कार्य बाधा दूर हो जाती है।
  • प्रातःकाल दीप जलाकर उसमें दो फूल वाली अखंडित लौंग डाल दें, उसके बाद घर से बाहर निकलें, आपके कार्यों में आने वाली समस्त बाधाएं समाप्त हो जायेंगी।
  • घर से बाहर निकलते समय एक निश्चित धनराशि जिसमें एक सिक्का जरूर हो, हाथ में ले लें। उसे किसी भिक्षुक को देने से उसके आशीर्वाद से वह कार्य बाधा रहित होगा, जिसके लिए आप जा रहे हैं।
  • प्रातः काल गणेश जी का स्मरण कर उन्हें दुर्वा घास अर्पित करके घर से बाहर निकलें, नौकरी या व्यवसाय की बाधाएं दूर होती चली जायेंगी ।
  • घर के बाहर जाने से पहले भगवती दुर्गा को नौ लाल पुष्प चढ़ाएं, कार्यों में आने वाली बाधा नष्ट हो जायेगी।
  • सफेद कपड़े की ध्वजा को पीपल के वृक्ष पर लगाने से व्यापार-व्यवसाय की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
  • चावल और हल्दी को पीसकर उसके द्वारा घर के प्रवेश द्वार पर ऊं और स्वास्तिक बना दें, आपका घर सभी प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित रहेगा।
  • नित्य प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर आदित्य हृदय स्तोत्र एवं राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं तथा स्वयं की रक्षा होती है।
  • नौकरी, साक्षात्कार या किसी विशेष कार्य हेतु घर से बाहर निकलते समय गुड़, शक्कर, मिठाई या दही खा लें, आपके कार्य में कोई बाधा नहीं आयेगी।
  • शनिवार के दिन सरसों का तेल या काली उड़द का दान करने से कार्यों की सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।
  • इन छोटे-छोटे उपायों की सहायता से आप जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। किसी ज्योतिषी को अपना सही-सही जन्म समय बताकर जन्म कुण्डली के माध्यम से अपने उपर चलने वाली महा दशा, अन्तर दशा एवं
ग्रह गोचर को समझकर व्यक्तिगत उपाय करने से सटीकता के साथ विघ्न-बाधा दूर होती है। जन्मपत्री में प्रथम भाव के स्वामी लग्नेश, पंचम भाव के स्वामी पंचमेश एवं नवम भाव के स्वामी भाग्येश इत्यादि का रत्न किसी ज्ञानी ज्योतिषी से पूछकर सही विधि से प्राण प्रतिष्ठा के बाद धारण करने से जीवन में मनोवांछित परिणाम प्राप्त होते हैं तथा विघ्न-बाधाएं न्यूनतम हो जाती हैं।
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