विनोद खन्ना अपने जमाने के सबसे हैंडसम एक्टर्स में से एक गिने जाते रहे, जिन्होंने बरसों तक इंडस्ट्री पर राज किया था। कहते हैं कि उनकी एक्टिंग और उनके लुक की वजह से फिल्में हिट हो जाया करती थीं। लेकिन अब जो कहानी यहां आपको बताने जा रहे हैं उसमें विनोद खन्ना से जुड़ी वो बातें हैं जो उनके फैन्स को शायद पसंद न आए। उस वक्त एक ऐसी महिला थीं जो उन्हें और उनकी तरह बाकी एक्टर्स को बैन किए जाने तक की बातें कह दी थीं।   
   
वो कोई और नहीं बल्कि बोनी कपूर की सासु मां सत्ती शौरी थीं। अब, आप भी सोच रहे होंगे कि अर्जुन कपूर की नानी आखिर विनोद खन्ना से इस कदर क्यों खफा थीं कि वो उन्हें बैन करना चाहती थीं। यहां हम आपको वही किस्सा सुनाने जा रहे हैं।
   
      
विनोद खन्ना की वजह से काफी बुरा रहा अनुभव
अर्जुन कपूर की नानी और फिल्म प्रड्यूसर का सफर भले इंडस्ट्री में बहुत लंबा न रहा हो, लेकिन वह अपने समय की सबसे बेबाक और बेबाक प्रड्यूसर्स में से एक थीं। अपने छोटे से फिल्मी करियर में, सत्ती शौरी के नाम केवल तीन फिल्में रहीं। पहली फिल्म 1991 में 'फरिश्ते', दूसरी 'शीशा' (1986) और तीसरी साल 1997 में 'युग' आई थी। उनकी पहली फिल्म का अनुभव विनोद खन्ना की वजह से काफी बुरा रहा था और अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में खुलकर बातें की थीं।
   
'आपको लोहे का दिल और पत्थर का शरीर बनाना पड़ता है'
बोनी कपूर की सास सत्ती शौरी ने बताया कि 'फरिश्ते' की शूटिंग के दौरान विनोद खन्ना की वजह से वो किस कदर परेशान रही थीं। सत्ती शौरी ने एक बार 'लहरें रेट्रो' के साथ बातचीत में विनोद खन्ना के साथ काम करने के अपने अनुभव पर बातें कीं। उन्हें विनोद खन्ना शुरू से ही पसंद नहीं आए। उन्होंने कहा था, 'विनोद खन्ना नाम के मुश्किल आदमी के साथ काम करना कितना मुश्किल है। आपको लोहे का दिल और पत्थर का शरीर बनाना पड़ता है, इतने मुश्किल आदमी के साथ काम करने के लिए।'
   
'वो शूटिंग के लिए 5-6 घंटे देरी से पहुंचते'
इसी बातचीत में, शौरी ने ये भी कहा था कि विनोद खन्ना सेट पर घंटों देर से आते थे। उन्होंने उस दौर को याद करते हुए था कि एक्टर को इस बात की जरा भी परवाह नहीं थी कि प्रड्यूसर्स को भारी नुकसान होगा और अक्सर वो शूटिंग के लिए 5-6 घंटे देरी से पहुंचते थे।
   
'5 घंटे में कितने पैसे का नुकसान'
उन्होंने कहा था, 'जब से वो वापस आए हैं, उनके सारे प्रड्यूसर्स की हालत देख लीजिए क्या है। न वो उठे हैं टाइम पे, ना कभी वो टाइम पे पूछते हैं। ना वो कभी ये सोचते हैं कि डायरेक्टर सुबह 9:30 बजे लाइट, कैमरा और बाकी कलाकारों को बुलाते हैं, उनकी शूटिंग पर 2:30 बजे पहुंचते हैं, 5 घंटे में कितने पैसे का नुकसान होता है। उन्होंने ये कभी सोचा ही नहीं।' यहां याद दिला दें कि विनोद खन्ना ने साल 1982 में अपने सफल करियर को छोड़कर संन्यास ले लिया था और वो ओशो के आश्रम चले गए थे। करीब पांच साल तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहने के बाद उन्होंने वापसी की थी।
   
कहा था- ये फिल्म प्रड्यूसर्स के साथ अन्याय
Lehren Retro के साथ इसी बातचीत में उन्होंने आगे ये भी कहा था कि किसी को नहीं पता था कि विनोद खन्ना अगले दिन शूटिंग के लिए आएंगे भी या नहीं। उन्होंने याद करते हुए कहा कि अगर वे आते भी थे, तो सिर्फ दो घंटे शूटिंग करते और फिर चले जाते थे। सत्ती ने कहा था कि ये फिल्म प्रड्यूसर्स के साथ अन्याय था, क्योंकि उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।
   
      
   
'इंडस्ट्री से ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए उन्हें'
उन्होंने एक्टर के अनप्रफेशनल बिहेवियर को देखते हुए यहां तक कह दिया था कि एक्टर को उनके इस व्यवहार के लिए इंडस्ट्री से ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए।
  
वो कोई और नहीं बल्कि बोनी कपूर की सासु मां सत्ती शौरी थीं। अब, आप भी सोच रहे होंगे कि अर्जुन कपूर की नानी आखिर विनोद खन्ना से इस कदर क्यों खफा थीं कि वो उन्हें बैन करना चाहती थीं। यहां हम आपको वही किस्सा सुनाने जा रहे हैं।
विनोद खन्ना की वजह से काफी बुरा रहा अनुभव
अर्जुन कपूर की नानी और फिल्म प्रड्यूसर का सफर भले इंडस्ट्री में बहुत लंबा न रहा हो, लेकिन वह अपने समय की सबसे बेबाक और बेबाक प्रड्यूसर्स में से एक थीं। अपने छोटे से फिल्मी करियर में, सत्ती शौरी के नाम केवल तीन फिल्में रहीं। पहली फिल्म 1991 में 'फरिश्ते', दूसरी 'शीशा' (1986) और तीसरी साल 1997 में 'युग' आई थी। उनकी पहली फिल्म का अनुभव विनोद खन्ना की वजह से काफी बुरा रहा था और अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में खुलकर बातें की थीं।
'आपको लोहे का दिल और पत्थर का शरीर बनाना पड़ता है'
बोनी कपूर की सास सत्ती शौरी ने बताया कि 'फरिश्ते' की शूटिंग के दौरान विनोद खन्ना की वजह से वो किस कदर परेशान रही थीं। सत्ती शौरी ने एक बार 'लहरें रेट्रो' के साथ बातचीत में विनोद खन्ना के साथ काम करने के अपने अनुभव पर बातें कीं। उन्हें विनोद खन्ना शुरू से ही पसंद नहीं आए। उन्होंने कहा था, 'विनोद खन्ना नाम के मुश्किल आदमी के साथ काम करना कितना मुश्किल है। आपको लोहे का दिल और पत्थर का शरीर बनाना पड़ता है, इतने मुश्किल आदमी के साथ काम करने के लिए।'
'वो शूटिंग के लिए 5-6 घंटे देरी से पहुंचते'
इसी बातचीत में, शौरी ने ये भी कहा था कि विनोद खन्ना सेट पर घंटों देर से आते थे। उन्होंने उस दौर को याद करते हुए था कि एक्टर को इस बात की जरा भी परवाह नहीं थी कि प्रड्यूसर्स को भारी नुकसान होगा और अक्सर वो शूटिंग के लिए 5-6 घंटे देरी से पहुंचते थे।
'5 घंटे में कितने पैसे का नुकसान'
उन्होंने कहा था, 'जब से वो वापस आए हैं, उनके सारे प्रड्यूसर्स की हालत देख लीजिए क्या है। न वो उठे हैं टाइम पे, ना कभी वो टाइम पे पूछते हैं। ना वो कभी ये सोचते हैं कि डायरेक्टर सुबह 9:30 बजे लाइट, कैमरा और बाकी कलाकारों को बुलाते हैं, उनकी शूटिंग पर 2:30 बजे पहुंचते हैं, 5 घंटे में कितने पैसे का नुकसान होता है। उन्होंने ये कभी सोचा ही नहीं।' यहां याद दिला दें कि विनोद खन्ना ने साल 1982 में अपने सफल करियर को छोड़कर संन्यास ले लिया था और वो ओशो के आश्रम चले गए थे। करीब पांच साल तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहने के बाद उन्होंने वापसी की थी।
कहा था- ये फिल्म प्रड्यूसर्स के साथ अन्याय
Lehren Retro के साथ इसी बातचीत में उन्होंने आगे ये भी कहा था कि किसी को नहीं पता था कि विनोद खन्ना अगले दिन शूटिंग के लिए आएंगे भी या नहीं। उन्होंने याद करते हुए कहा कि अगर वे आते भी थे, तो सिर्फ दो घंटे शूटिंग करते और फिर चले जाते थे। सत्ती ने कहा था कि ये फिल्म प्रड्यूसर्स के साथ अन्याय था, क्योंकि उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।
'इंडस्ट्री से ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए उन्हें'
उन्होंने एक्टर के अनप्रफेशनल बिहेवियर को देखते हुए यहां तक कह दिया था कि एक्टर को उनके इस व्यवहार के लिए इंडस्ट्री से ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए।
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