Next Story
Newszop

अमित शाह का भतीजा हूं, सरकारी ठेका दिला दूंगा... गृहमंत्री का रिश्तेदार बताकर ठगे करोड़ों रुपये, नहीं मिली जमानत

Send Push
नई दिल्ली: दिल्ली में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी ने खुद को अमित शाह का भतीजा बताकर एक व्यापारी से करोड़ों रुपये की ठगी कर डाली। अब कोर्ट ने ठगी के आरोपी को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है। आरोपी ठगी के एक मामले में पहले भी फंस चुका है, इसलिए पीड़ित पक्ष आरोपी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग कर रहा है।



दिल्ली होई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भतीजा होने का दावा कर एक व्यापारी से 3.9 करोड़ रुपये ऐंठने के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने आरोपी अजय कुमार नैय्यर के खिलाफ आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी ने शिकायतकर्ता को कथित तौर पर राष्ट्रपति भवन की मरम्मत के लिए चमड़े की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार से 90 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने का आश्वासन दिया था।



सरकारी ठेगा दिलाने का वादाशिकायतकर्ता का आरोपी से परिचय जालंधर जिमखाना क्लब में एक पारिवारिक मित्र के माध्यम से हुआ था। वहां नैय्यर ने खुद को केंद्रीय गृह मंत्री का भतीजा अजय शाह बताया था और शिकायतकर्ता को सरकारी ठेका दिलाने का आश्वासन दिया था। शिकायतकर्ता को बाद में उसकी कंपनी के पक्ष में 90 करोड़ रुपये का ‘डिमांड ड्राफ्ट’ दिखाया गया और उसे ‘प्रोसेसिंग फीस’ (प्रक्रिया शुल्क) के रूप में 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया।



3.9 करोड़ का किया भुगतानआरोपी के साथ कई दौर की बैठकों के बाद, शिकायतकर्ता ने निविदा के लिए नकद और आरटीजीएस के माध्यम से उसे 3.90 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन नैय्यर ने 127 करोड़ रुपये के एक अन्य ‘डिमांड ड्राफ्ट’ की तस्वीर दिखाई तथा कहा कि निविदा की लागत 90 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 127 करोड़ रुपये कर दी गई थी। जब शिकायतकर्ता को ठगे जाने का अहसास हुआ तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी को दिसंबर 2021 में गिरफ्तार कर लिया गया।



उम्रकैद की हो सकती है सजा!पीड़ित पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि वे आरोपों में संशोधन करने और प्रासंगिक अपराधों के लिए आरोप जोड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र और शिकायतकर्ता को प्रतिभूति के रूप में आरोपी के जाली चेक का इस्तेमाल करने से संबंधित आरोप भी शामिल हैं। इसके लिए आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, इसलिए (जमानत के लिए) चार साल तक हिरासत में रहने का आधार महत्वहीन हो जाता है। पीड़ित पक्ष के मुताबिक आरोपी इसी तरह की धोखाधड़ी से संबंधित एक अन्य मामले में भी कथित रूप से शामिल था, जिसे उसने शिकायतकर्ता को 75 लाख रुपये देकर निपटाया था।

Loving Newspoint? Download the app now