नई दिल्ली: पृथ्वी शॉ , एक ऐसा नाम जिसके शुरुआती दौर में क्रिकेट पंडितों ने उन्हें 'अगला सचिन तेंदुलकर' तक कह दिया था। अंडर-19 विश्व कप जीतने वाले कप्तान, डेब्यू टेस्ट में शतक और निडर बल्लेबाजी की वह शैली, जिसने हर किसी को उनका दीवाना बना दिया था। लेकिन आज, पृथ्वी शॉ भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे कम और विवादों से घिरे विलेन ज्यादा नजर आते हैं। यह दुखद है, लेकिन यह सच्चाई है कि वह खुद अपने सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं।
हाल ही में, महाराष्ट्र और मुंबई के बीच पुणे में हुए अभ्यास मैच के दौरान की घटना इसी बात को दर्शाती है। मुशीर खान की गेंद पर आउट होने के बाद जब मुशीर ने कथित तौर पर उनका मजाक उड़ाया, तो पृथ्वी शॉ का रिएक्शन अजीब सा था। उन्होंने बल्ला उठाने और मुशीर का कॉलर पकड़ने की कोशिश की। यह मैदान पर होने वाली एक मामूली कहा-सुनी नहीं थी, यह एक युवा खिलाड़ी के बढ़ते घमंड को साफ दिखा रहा है।
टैलेंट पर भारी पड़ता खराब बर्ताव
पृथ्वी शॉ के करियर को अगर देखा जाए, तो उनका टैलेंट हमेशा से सवालों से परे रहा है। लेकिन इस गजब के टैलेंट पर उनका खराब व्यवहार हमेशा भारी पड़ा है। उनकी गलतियां सिर्फ एक या दो नहीं हैं, बल्कि एक पैटर्न बन चुकी हैं। चाहे वह आईपीएल में विरोधी खिलाड़ियों से बहस हो या अब घरेलू मैच में युवा साथियों के साथ हाथापाई की कोशिश, पृथ्वी शॉ लगातार यह साबित कर रहे हैं कि वह दबाव में अपना आपा खो देते हैं।
बढ़ता वजन भी बन रहा काल
इंटरनेशनल लेवल पर प्रदर्शन करने के लिए फिटनेस सबसे महत्वपूर्ण है। पृथ्वी शॉ लगातार अपने बढ़े हुए वजन और खराब फिटनेस के कारण आलोचना का शिकार होते रहे हैं। यह प्रोपेश्नल क्रिकेट के प्रति उनकी लापरवाही को दर्शाता है। एक बार डोप टेस्ट में फेल होने के कारण वह सस्पेंड हो चुके हैं। इसके अलावा, मैदान के बाहर भी वह विवादों और लड़ाइयों से घिरे रहे हैं।
टीम इंडिया से दूरी की वजह प्रदर्शन नहीं, रवैया
सच यह है कि पृथ्वी शॉ आज भारतीय टीम से बाहर अपने खराब प्रदर्शन के कारण नहीं, बल्कि अपने खराब रवैये के कारण हैं। जब रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गज अपने करियर के अंतिम चरण में हैं, तब टीम इंडिया को एक स्थायी और भरोसेमंद ओपनर की सख्त जरूरत है। शुभमन गिल ने यह जगह लगभग हथिया ली है, लेकिन पृथ्वी शॉ अभी भी घरेलू क्रिकेट में ही अपनी जगह तलाश रहे हैं। चयनकर्ता किसी ऐसे खिलाड़ी पर दांव नहीं लगाएंगे, जो ड्रेसिंग रूम का माहौल खराब करे, जो फिटनेस को गंभीरता से न ले और जिसका व्यवहार बचकाना हो। टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए सिर्फ रन बनाना या विकेट लेना ही काफी नहीं होता, कैरेक्टर और अनुशासन भी जरूरी होता है।
हाल ही में, महाराष्ट्र और मुंबई के बीच पुणे में हुए अभ्यास मैच के दौरान की घटना इसी बात को दर्शाती है। मुशीर खान की गेंद पर आउट होने के बाद जब मुशीर ने कथित तौर पर उनका मजाक उड़ाया, तो पृथ्वी शॉ का रिएक्शन अजीब सा था। उन्होंने बल्ला उठाने और मुशीर का कॉलर पकड़ने की कोशिश की। यह मैदान पर होने वाली एक मामूली कहा-सुनी नहीं थी, यह एक युवा खिलाड़ी के बढ़ते घमंड को साफ दिखा रहा है।
टैलेंट पर भारी पड़ता खराब बर्ताव
पृथ्वी शॉ के करियर को अगर देखा जाए, तो उनका टैलेंट हमेशा से सवालों से परे रहा है। लेकिन इस गजब के टैलेंट पर उनका खराब व्यवहार हमेशा भारी पड़ा है। उनकी गलतियां सिर्फ एक या दो नहीं हैं, बल्कि एक पैटर्न बन चुकी हैं। चाहे वह आईपीएल में विरोधी खिलाड़ियों से बहस हो या अब घरेलू मैच में युवा साथियों के साथ हाथापाई की कोशिश, पृथ्वी शॉ लगातार यह साबित कर रहे हैं कि वह दबाव में अपना आपा खो देते हैं।
बढ़ता वजन भी बन रहा काल
इंटरनेशनल लेवल पर प्रदर्शन करने के लिए फिटनेस सबसे महत्वपूर्ण है। पृथ्वी शॉ लगातार अपने बढ़े हुए वजन और खराब फिटनेस के कारण आलोचना का शिकार होते रहे हैं। यह प्रोपेश्नल क्रिकेट के प्रति उनकी लापरवाही को दर्शाता है। एक बार डोप टेस्ट में फेल होने के कारण वह सस्पेंड हो चुके हैं। इसके अलावा, मैदान के बाहर भी वह विवादों और लड़ाइयों से घिरे रहे हैं।
टीम इंडिया से दूरी की वजह प्रदर्शन नहीं, रवैया
सच यह है कि पृथ्वी शॉ आज भारतीय टीम से बाहर अपने खराब प्रदर्शन के कारण नहीं, बल्कि अपने खराब रवैये के कारण हैं। जब रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गज अपने करियर के अंतिम चरण में हैं, तब टीम इंडिया को एक स्थायी और भरोसेमंद ओपनर की सख्त जरूरत है। शुभमन गिल ने यह जगह लगभग हथिया ली है, लेकिन पृथ्वी शॉ अभी भी घरेलू क्रिकेट में ही अपनी जगह तलाश रहे हैं। चयनकर्ता किसी ऐसे खिलाड़ी पर दांव नहीं लगाएंगे, जो ड्रेसिंग रूम का माहौल खराब करे, जो फिटनेस को गंभीरता से न ले और जिसका व्यवहार बचकाना हो। टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए सिर्फ रन बनाना या विकेट लेना ही काफी नहीं होता, कैरेक्टर और अनुशासन भी जरूरी होता है।
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