सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है आजादी के बाद देश को एक सूत्र में बांधना। उन्होंने साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक किया। इनमें से हर रियासत की अलग मांग, परिस्थिति और परेशानी थी। सरदार पटेल ने ताकत और कूटनीति के बेहतरीन तालमेल से इस असंभव से दिखने वाले काम को कर दिखाया। लेकिन, यही एक काम नहीं था, जो सरदार पटेल ने इस देश को मजबूत करने के लिए किया- उन्होंने सिविल सर्विस और जनगणना जैसे वे काम कराए, जिनसे देश अपने पैरों पर खड़ा हो सका।
सिविल सर्विस पर फैसला । भारत में सिविल सेवा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में हुई थी। अंग्रेज इस सर्विस को अपने शासन का मजबूत ढांचा कहा करते थे। इसलिए जब भारत आजाद हुआ, तो कई लोग आजाद भारत में सिविल सर्विस को जारी रखने को लेकर संदेह में थे। सरदार पटेल 1947 के पहले बनी अंतरिम सरकार में भी गृह मंत्री थे। उसी समय से उन्होंने सिविल और पुलिस सर्विस पर काम करना शुरू कर दिया था। आजाद भारत में सिविल सर्विसेज का स्वरूप कैसा होगा, इसे लेकर उन्होंने अक्टूबर 1946 में प्रांतीय प्रधानमंत्रियों की एक बैठक बुलाई।
प्रशासनिक व्यवस्था । सरदार पटेल का मानना था कि पूरे भारत को एक साथ जोड़े रखने के लिए योग्यता आधारित अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा बहुत जरूरी है। उनकी पहल और दृढ़ इच्छा के कारण भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का गठन हुआ। यह ब्रिटिश शासन की ICS यानी इंडियन सिविल सर्विस का नया भारतीय रूप था। सरदार पटेल ने नई सेवाओं के अधिकारियों से कहा था कि वे जनता की सेवा ईमानदारी और विनम्रता से करें। उन्होंने जिस सर्विस को आकार दिया, वह आज देश की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ है।
पहली जनगणना । सरदार पटेल ने पहली जनगणना की योजना बनाई और उद्देश्य साफ किया। अपनी मौत से केवल 10 महीने पहले, फरवरी 1950 में उन्होंने दिल्ली में जनगणना अधिकारियों की एक कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना देश की प्रशासनिक नीतियों को निर्धारित करने में अहम साबित होगी। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा था कि जनगणना सिर्फ आंकड़े गिनने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी अहम और वैज्ञानिक जानकारी जुटाने का माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि इस जनगणना में खास ध्यान लोगों के रोजगार के साधनों और आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा डेटा एकत्र करने पर दिया जाएगा। उनका कहना था कि जनगणना सरकार के लिए ऐसा मौका है, जब वह देश के हर घर तक पहुंच सकती है। कह सकते हैं कि इस तरह से सरदार पटेल ने 1951 में शुरू हुई देश की पहली राष्ट्रीय जनगणना के लिए दिशा तय की थी।
ताकतवर सेना । सरदार पटेल का मानना था कि देश की मजबूती के लिए सेना मजबूत होनी चाहिए। 17 जनवरी 1948 को उन्होंने मुंबई के चौपाटी में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस सभा में करीब एक लाख लोग मौजूद थे। इसमें सरदार पटेल ने कहा कि अगर भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में टिके रहना है, तो उसे मजबूत सेना की जरूरत है। लगभग एक घंटे के भाषण में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी सशस्त्र शक्ति में विश्वास नहीं करते थे, लेकिन एक व्यावहारिक व्यक्ति होने के नाते जहां तक सैन्य ताकत की बात है, तो वह उनकी सलाह स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था, 'हमारी सेना को इतना ताकतवर होना चाहिए कि कोई शक्ति भारत में दखल देने के बारे में सोचे भी नहीं।'
सिविल सर्विस पर फैसला । भारत में सिविल सेवा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में हुई थी। अंग्रेज इस सर्विस को अपने शासन का मजबूत ढांचा कहा करते थे। इसलिए जब भारत आजाद हुआ, तो कई लोग आजाद भारत में सिविल सर्विस को जारी रखने को लेकर संदेह में थे। सरदार पटेल 1947 के पहले बनी अंतरिम सरकार में भी गृह मंत्री थे। उसी समय से उन्होंने सिविल और पुलिस सर्विस पर काम करना शुरू कर दिया था। आजाद भारत में सिविल सर्विसेज का स्वरूप कैसा होगा, इसे लेकर उन्होंने अक्टूबर 1946 में प्रांतीय प्रधानमंत्रियों की एक बैठक बुलाई।
प्रशासनिक व्यवस्था । सरदार पटेल का मानना था कि पूरे भारत को एक साथ जोड़े रखने के लिए योग्यता आधारित अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा बहुत जरूरी है। उनकी पहल और दृढ़ इच्छा के कारण भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का गठन हुआ। यह ब्रिटिश शासन की ICS यानी इंडियन सिविल सर्विस का नया भारतीय रूप था। सरदार पटेल ने नई सेवाओं के अधिकारियों से कहा था कि वे जनता की सेवा ईमानदारी और विनम्रता से करें। उन्होंने जिस सर्विस को आकार दिया, वह आज देश की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ है।
पहली जनगणना । सरदार पटेल ने पहली जनगणना की योजना बनाई और उद्देश्य साफ किया। अपनी मौत से केवल 10 महीने पहले, फरवरी 1950 में उन्होंने दिल्ली में जनगणना अधिकारियों की एक कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना देश की प्रशासनिक नीतियों को निर्धारित करने में अहम साबित होगी। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा था कि जनगणना सिर्फ आंकड़े गिनने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी अहम और वैज्ञानिक जानकारी जुटाने का माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि इस जनगणना में खास ध्यान लोगों के रोजगार के साधनों और आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा डेटा एकत्र करने पर दिया जाएगा। उनका कहना था कि जनगणना सरकार के लिए ऐसा मौका है, जब वह देश के हर घर तक पहुंच सकती है। कह सकते हैं कि इस तरह से सरदार पटेल ने 1951 में शुरू हुई देश की पहली राष्ट्रीय जनगणना के लिए दिशा तय की थी।
ताकतवर सेना । सरदार पटेल का मानना था कि देश की मजबूती के लिए सेना मजबूत होनी चाहिए। 17 जनवरी 1948 को उन्होंने मुंबई के चौपाटी में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस सभा में करीब एक लाख लोग मौजूद थे। इसमें सरदार पटेल ने कहा कि अगर भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में टिके रहना है, तो उसे मजबूत सेना की जरूरत है। लगभग एक घंटे के भाषण में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी सशस्त्र शक्ति में विश्वास नहीं करते थे, लेकिन एक व्यावहारिक व्यक्ति होने के नाते जहां तक सैन्य ताकत की बात है, तो वह उनकी सलाह स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था, 'हमारी सेना को इतना ताकतवर होना चाहिए कि कोई शक्ति भारत में दखल देने के बारे में सोचे भी नहीं।'
You may also like

IND vs AUS: शिवम दुबे के निशाने पर आए एडम जम्पा, आसमान को चीरती हुई स्टेडियम के बाहर गई गेंद

पहले जमा करें रिपोर्ट... विकास यादव की याचिका पर हाई कोर्ट की खरी-खरी, दिल्ली सरकार भी लपेटे में

कैसे सूर्य की किरणें हमारे जीवन में ग्रहों का प्रभाव प्रकट करती हैं

सोनम खान ने दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर को किया याद, बताया पहली फिल्म की शूटिंग का अनुभव

ईडी का बड़ा एक्शन, रैना-धवन की 11.14 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त




