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यह युद्ध क्यों?

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इस्राइल और ईरान के बीच का टकराव बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले तेज करने की चेतावनी दी है। अमेरिका ने भले लड़ाई में शामिल होने का निर्णय लेने के लिए दो हफ्ते का समय तय किया हो, लेकिन उसकी तरफ से ऐसी कोई पहल नहीं हो रही, जिससे लगे कि वह संघर्ष टालना चाहता है। इस्राइल का कहना है कि वह लक्ष्य हासिल होने तक नहीं रुकेगा, लेकिन क्या ऐसा संभव है?



एटमी खतरा । अमेरिका और इस्राइल का मानना है कि ईरान ने परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल कर ली है और अगर उसे नहीं रोका गया, तो खतरा पूरी दुनिया को होगा। इस्राइल ने इसी खतरे को मिटाने की बात कहकर ईरान पर हवाई हमले शुरू किए थे। लेकिन, इस लक्ष्य को लेकर सबसे बड़ा संदेह इसलिए है कि क्या वाकई ईरान एटमी पावर बनने के करीब है, क्योंकि पश्चिम के ही कई जानकारों को ऐसा नहीं लगता।



सत्ता में बदलाव । इस्राइल चाहता है कि ईरान में अयातुल्ला अली खामेनेई के शासन का अंत हो। हालांकि इस बात की गारंटी डॉनल्ड ट्रंप या नेतन्याहू में से कोई नहीं ले सकता कि खामेनेई को हटाने से समस्या का समाधान हो जाएगा। यह कैसे कहा जा सकता है कि नई सत्ता को न्यूक्लियर ताकत बनने में कोई दिलचस्पी नहीं होगी, वह भी जब उसके पास अमेरिका और इस्राइल के हिसाब से जरूरी साधन मौजूद हैं।



कट्टरता बढ़ेगी । हवाई हमलों से या जमीन पर सीधी लड़ाई लड़कर भी इन्फ्रास्ट्रक्चर को खत्म किया जा सकता है, उस तकनीकी ज्ञान को नहीं, जो ईरानी वैज्ञानिकों ने बरसों की मेहनत से हासिल की है। ऐसे में विदेशी दबाव में हुआ बदलाव अगर ईरान को और ज्यादा कट्टरता की ओर ले गया, तो अमेरिका या इस्राइल के पास क्या जवाब होगा? हकीकत में यह काम ईरानी जनता पर छोड़ना चाहिए, बदलाव की मांग वहां से उठनी चाहिए।



पुराने सबक । इराक, लीबिया, सीरिया - कई उदाहरण हैं, जहां पश्चिमी ताकतों ने अपने हिसाब से बदलाव लाने का प्रयास किया। इनमें से कहीं भी नतीजा मन-मुताबिक नहीं रहा। ये देश आज भी अस्थिर हैं। तेहरान को लेकर कोई भी दुस्साहस ईरान को भी इन्हीं मुल्कों की श्रेणी में ला सकता है।



एकमात्र रास्ता । इस संघर्ष में अब भी कुछ सकारात्मक बातें हैं - अमेरिका अभी तक मैदान में नहीं उतरा और यूरोप अपनी तरफ से कोशिश कर रहा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची का कहना है कि कोई भी बातचीत इस्राइली हमले रुकने के बाद होगी। इस संकट को टालने का यही एकमात्र तरीका भी है - बातचीत।



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