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पाक बेनकाब

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पाकिस्तानी सरकार, सेना और आतंकियों के गठजोड़ की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं और भारत के इस दावे की पुष्टि कर रही हैं कि आतंकवाद इस्लामाबाद की राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है। ताजा सबूत वह रैली है, जिसमें पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब के स्पीकर मलिक अहमद खान ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों- सैफुल्लाह कसूरी और तलहा सईद के साथ मंच साझा किया। इससे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दुनिया बेहतर ढंग से समझ सकती है।



आतंकियों की रैली:
सीमा पर टकराव के बाद जिस तरह से पाकिस्तानी सेना की कथित जीत का जश्न मनाने के लिए वैश्विक स्तर पर घोषित आतंकी घूम-घूमकर रैलियां कर रहे हैं, वह इस्लामाबाद के इस झूठ की पोल खोल देता है कि पहलगाम के पीछे उसका हाथ नहीं। खुद को विजेता साबित करने के उतावलेपन में पाकिस्तान ने अपना नकाब हटा दिया है। याद है, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें दिखा कि आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अफसर, हुक्मरान शामिल हुए थे। आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ ने जनाजे की नमाज पढ़ाई थी।



ग्लोबल टेररिस्ट: सैफुल्लाह कसूरी पहलगाम का मुख्य साजिशकर्ता है और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में उसकी हैसियत डिप्टी चीफ की बताई जाती है। इसी तरह तलहा सईद लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का बेटा है। भारत और अमेरिका ने इसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव रखा था, पर चीन ने बचा लिया। वहीं, अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी मुजम्मिल हाशमी भी सार्वजनिक रूप से भारत को चुनौती देता नजर आया है।



बांग्लादेश में साजिश: ये आतंकी भारत में अस्थिरता और आतंकवाद फैलाने की कोशिशों का समर्थन ही नहीं कर रहे, बल्कि उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि बांग्लादेश में पिछले साल हुए तख्तापलट में इनका हाथ था। शुरू से यह अंदेशा जताया जा रहा था कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ खड़े हुए आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतें थीं और अब यह साबित हो रहा है। पाकिस्तान को लगता है कि ढाका में कट्टरपंथियों को मजबूती मिलने से 1971 की उसकी हार का बदला पूरा हो जाएगा।



सख्त कार्रवाई: पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। वहां की स्टेट पॉलिसी में आतंकियों के दखल और असर को देखते हुए वैश्विक बिरादरी को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। FATF की इस महीने होने वाली बैठक में भारत यह मुद्दा उठा सकता है ताकि पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डाला जा सके। दूसरे देशों को भी भारत का साथ देना चाहिए क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई साझा है।

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