QS Asia University Rankings 2026 : क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 जारी कर दी गई। एशिया में पहला स्थान हांगकांग यूनिवर्सिटी ने हासिल किया है। इस बार भारत के टाॅप-10 संस्थानों में 7 IITs शामिल हैं लेकिन इनकी रैंकिंग में गिरावट देखी गई। वहीं, चीन, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और सिंगार की यूनिवर्सिटी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। रैंकिंग में भारत में बेस्ट इंस्टिट्यूट- IIT दिल्ली, IIT मद्रास, IIT बॉम्बे, IIT कानपुर और IIT खड़गपुर ने बीते वर्षों की तुलना में कम रैंक दर्ज की है। आइए विस्तार से समझते हैं क्यूएस एशिया रैंकिंग में संस्थानों का प्रदर्शन और गिरावट की स्थिति के बारे में।
IIT दिल्ली टाॅप में पर 15 रैंक की गिरावटलगातार दूसरे वर्ष भारत का इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी (IIT) दिल्ली 78.6 के स्कोर के साथ टाॅप पर रहा। हालांकि, इस बार संस्थान को 59वां स्थान मिला है जो बीते वर्ष के 44वें स्थान से 15 रैंक की गिरावट है। 2021 से 2025 तक इंस्टिट्यूट की पोजिशन 44 से 47वें स्थान के बीच रही है।
IIT बॉम्बे की रैंकिंग में बड़ी गिरावटइस बार IIT बॉम्बे की रैंकिंग में बड़ी गिरावट देखी गई है। यह 23 स्थान नीचे गिरकर 71वें स्थान पर पहुंचा है जबकि बीते वर्ष यह 48वें स्थान पर था। 2021 से 2024 तक IIT बॉम्बे इंडियन इंस्टिट्यूट्स में टाॅप पर था और इसकी रैंक 37 से 42 और फिर 40 तक रही।
QS Asia 2026 में इंडियन इंस्टिट्यूट्स की रैंकिंग QS रैंकिंग 2026 में एशिया की टाॅप-10 यूनिवर्सिटी
इस आधार पर जारी की जाती है रैंकिंगक्यूएस रैंकिंग जब जारी की जाती है तो उससे पहले कई बातें देखी जाती हैं। इसमें काॅलेज या यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, टीचर-स्टूडेंट का रेशियो, रिसर्च का लेवल, टीचर द्वारा किए गए रिसर्च पेर, पीएचडी फैकल्टी, विदेशी शिक्षकों-छात्रों की संख्या और स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम्स में भागीदारी शामिल है।
रैंकिंग QS ने क्या कहा?QS ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इस रैंकिंग में एशिया के पूर्व और दक्षिण-पूर्वी देशों की यूनिवर्सिटी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन, हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और मलेशिया की यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट्स ने अच्छी प्रोग्रेस की है। हालांकि, भारतीय संस्थान अभी भी अपनी अच्छी पहचान के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। इन देशों की यूनिवर्सिटी रिसर्च, फैकल्टी इम्पैक्ट और इंटरनेशनल एंगेजमेंट में भारत से आगे निकल रही हैं।
क्यों आई यह गिरावट? QS रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय संस्थानों के प्रदर्शन में गिरावट का पहला कारण शोध प्रभाव (Citations per Paper) में कमी रही। IIT दिल्ली (31.5), IIT बॉम्बे (20.0) और IIT मद्रास (20.3) का Citations per Paper स्कोर कम रहा। वहीं, टाॅप एशियाई यूनिवर्सिटी का स्कोर 90 के आसपास है। दूसरा सबसे बड़ा कारण IITs में अभी भी शिक्षकों की संख्या छात्रों की तुलना में कम देखी जा रही है। इस क्रम में IIT खड़गपुर का स्कोर 16.5 और IIT दिल्ली का 40.9 रहा जबकि टाॅप एशियाई यूनिवर्सिटी का स्कोर 80–90 तक है। तीसरा कारण इंटरनेशनल एंगेजमेंट में IITs का प्रदर्शन कमजोर रहा। विदेशी छात्रों और शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। वहीं चीन, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया की यूनिवर्सिटी अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ा रहे हैं।
IIT दिल्ली टाॅप में पर 15 रैंक की गिरावटलगातार दूसरे वर्ष भारत का इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी (IIT) दिल्ली 78.6 के स्कोर के साथ टाॅप पर रहा। हालांकि, इस बार संस्थान को 59वां स्थान मिला है जो बीते वर्ष के 44वें स्थान से 15 रैंक की गिरावट है। 2021 से 2025 तक इंस्टिट्यूट की पोजिशन 44 से 47वें स्थान के बीच रही है।
IIT बॉम्बे की रैंकिंग में बड़ी गिरावटइस बार IIT बॉम्बे की रैंकिंग में बड़ी गिरावट देखी गई है। यह 23 स्थान नीचे गिरकर 71वें स्थान पर पहुंचा है जबकि बीते वर्ष यह 48वें स्थान पर था। 2021 से 2024 तक IIT बॉम्बे इंडियन इंस्टिट्यूट्स में टाॅप पर था और इसकी रैंक 37 से 42 और फिर 40 तक रही।
QS Asia 2026 में इंडियन इंस्टिट्यूट्स की रैंकिंग QS रैंकिंग 2026 में एशिया की टाॅप-10 यूनिवर्सिटी
इस आधार पर जारी की जाती है रैंकिंगक्यूएस रैंकिंग जब जारी की जाती है तो उससे पहले कई बातें देखी जाती हैं। इसमें काॅलेज या यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, टीचर-स्टूडेंट का रेशियो, रिसर्च का लेवल, टीचर द्वारा किए गए रिसर्च पेर, पीएचडी फैकल्टी, विदेशी शिक्षकों-छात्रों की संख्या और स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम्स में भागीदारी शामिल है।
रैंकिंग QS ने क्या कहा?QS ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इस रैंकिंग में एशिया के पूर्व और दक्षिण-पूर्वी देशों की यूनिवर्सिटी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन, हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और मलेशिया की यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट्स ने अच्छी प्रोग्रेस की है। हालांकि, भारतीय संस्थान अभी भी अपनी अच्छी पहचान के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। इन देशों की यूनिवर्सिटी रिसर्च, फैकल्टी इम्पैक्ट और इंटरनेशनल एंगेजमेंट में भारत से आगे निकल रही हैं।
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