इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (IIM) भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में गिने जाते हैं। IITs-IIMs से डिग्री लेना बेहतक करियर की गारंटी माना जाता है। लेकिन अब यह धारण बदल रहा ही है। बड़ी कंपनियो में नौकरी पाने के लिए आईआईटी या आईआईएम से पढ़ा होने की जरूरत नहीं है। युवा छोटे शहरों के टीयर-3 कॉलेज से पढ़कर भी विदेशी कंपनियों में अच्छा सैलरी पैकेज उठा रहे हैं।
भारत में टीयर-3 कॉलेज कौन-से हैं?नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 के आधार पर भारत में कॉलेजों को फैकल्टी, प्लेसमेंट पैकेज, R&D सुविधाओं के आधार पर चार लेवल (टीयर-1, टीयर-2, टीयर-3 और टीयर-4) में बांटा गया है। टीयर-1 में IITs, IIMs, IISc, NIT Trichy, BITS Pilani जैसे टॉप कॉलेज आते हैं।
टीयर-2 में स्टेट लेवल इंजीनियरिंग कॉलेज एनआईटी, डीटीयू, जादवपुर विश्वविद्यालय और कुछ अच्छे प्राइवेट कॉलेज आते हैं। वहीं टीयर 3 में छोटे शहरों के प्राइवेट कॉलेज या राज्य विश्वविद्यालयों से जुड़े कॉलेज आते हैं, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर व इंडस्ट्री एक्सपोजर लिमिट होता है।
टीयर-3 कॉलेजों में NIRF रैंकिंग या NAAC ग्रेड नहीं होता, प्लेसमेंट बहुत कम होता है, अनुवभवी प्रोफेसर और फैकल्टी की कमी होती है, कंपनियों के साथ टाइ-अप या रिसर्च लैब का अभाव रहता है। यहां से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को एवरेज कैटेगरी में रखा जाता है, लेकिन अब नहीं। स्टडी बताती है कि इन टीयर-3 कॉलेजों के स्टूडेंट्स को बड़ी कंपनियों में अच्छी सैलरी मिल रही है। टीयर-4 में वो कॉलेज शामिल होते हैं जिन्हें मान्यता तो है लेकिन एजुकेशन, फैकल्टी और प्लेसमेंट न के बराबर होता है।
Apple, Nvidia और Zoho में 34% कर्मचारी टीयर-3 कॉलेजों सेस्टडी के अनुसार, इन कंपनियों के लगभग एक तिहाई कर्मचारी (34 प्रतिशत) ने कहा कि वे टियर-3 कॉलेज से से आए हैं। गुमनाम प्रोफेशनल नेटवर्किंग ऐप ब्लाइंड की इस स्टडी में 17 सितंबर से 24 सितंबर 2025 के बीच 1,602 भारतीय टेक वर्कर्स का सर्वे किया गया, इसका मकसद यह समझना था कि आज के जॉब मार्केट में कॉलेज का नाम कितना मायने रखता है।
डिग्री नहीं, स्किल्स तलाश रही कंपनियांफेमस या प्रतिष्ठित कॉलेज से डिग्री हासिल करना अच्छे करियर की गारंटी माना जाता है। अब ये मानसिकता बदल रही है। अब कंपनियां डिग्री के बजाय स्किल्ड युवाओं को मौका दे रही हैं। सर्वे के दौरान करीब 59% टीयर-3 के पूर्व छात्रों और 45% टीयर-4 के पूर्व छात्रों ने कहा कि कॉलेज उनके रिज्यूमे कोई अहमियत नहीं देता। यहां तक कि 53% विदेशी ग्रेजुएट्स का भी यही मानना था कि उनकी डिग्री का उनकी सैलरी पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
अच्छी सैलरी की गारंटी नहीं है टॉप कॉलेजों से पढ़ाईस्टडी में यह भी सामने आया कि अगर आप टॉप कॉलेज से ग्रेजुएट हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आपको अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिलेगी। क्योंकि टीयर-3 कॉलेजों के ग्रेजुएट्स में से सिर्फ 15 प्रतिशत ने अपनी डिग्री के आधार पर अच्छा करियर बनाया, जबकि 74 प्रतिशत ने कहा कि उनके कॉलेज का नाम केवल शुरुआत में ही मायने रखता था, या बिल्कुल भी मायने नहीं रखता था।
भारत में टीयर-3 कॉलेज कौन-से हैं?नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 के आधार पर भारत में कॉलेजों को फैकल्टी, प्लेसमेंट पैकेज, R&D सुविधाओं के आधार पर चार लेवल (टीयर-1, टीयर-2, टीयर-3 और टीयर-4) में बांटा गया है। टीयर-1 में IITs, IIMs, IISc, NIT Trichy, BITS Pilani जैसे टॉप कॉलेज आते हैं।
टीयर-2 में स्टेट लेवल इंजीनियरिंग कॉलेज एनआईटी, डीटीयू, जादवपुर विश्वविद्यालय और कुछ अच्छे प्राइवेट कॉलेज आते हैं। वहीं टीयर 3 में छोटे शहरों के प्राइवेट कॉलेज या राज्य विश्वविद्यालयों से जुड़े कॉलेज आते हैं, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर व इंडस्ट्री एक्सपोजर लिमिट होता है।
टीयर-3 कॉलेजों में NIRF रैंकिंग या NAAC ग्रेड नहीं होता, प्लेसमेंट बहुत कम होता है, अनुवभवी प्रोफेसर और फैकल्टी की कमी होती है, कंपनियों के साथ टाइ-अप या रिसर्च लैब का अभाव रहता है। यहां से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को एवरेज कैटेगरी में रखा जाता है, लेकिन अब नहीं। स्टडी बताती है कि इन टीयर-3 कॉलेजों के स्टूडेंट्स को बड़ी कंपनियों में अच्छी सैलरी मिल रही है। टीयर-4 में वो कॉलेज शामिल होते हैं जिन्हें मान्यता तो है लेकिन एजुकेशन, फैकल्टी और प्लेसमेंट न के बराबर होता है।
Apple, Nvidia और Zoho में 34% कर्मचारी टीयर-3 कॉलेजों सेस्टडी के अनुसार, इन कंपनियों के लगभग एक तिहाई कर्मचारी (34 प्रतिशत) ने कहा कि वे टियर-3 कॉलेज से से आए हैं। गुमनाम प्रोफेशनल नेटवर्किंग ऐप ब्लाइंड की इस स्टडी में 17 सितंबर से 24 सितंबर 2025 के बीच 1,602 भारतीय टेक वर्कर्स का सर्वे किया गया, इसका मकसद यह समझना था कि आज के जॉब मार्केट में कॉलेज का नाम कितना मायने रखता है।
डिग्री नहीं, स्किल्स तलाश रही कंपनियांफेमस या प्रतिष्ठित कॉलेज से डिग्री हासिल करना अच्छे करियर की गारंटी माना जाता है। अब ये मानसिकता बदल रही है। अब कंपनियां डिग्री के बजाय स्किल्ड युवाओं को मौका दे रही हैं। सर्वे के दौरान करीब 59% टीयर-3 के पूर्व छात्रों और 45% टीयर-4 के पूर्व छात्रों ने कहा कि कॉलेज उनके रिज्यूमे कोई अहमियत नहीं देता। यहां तक कि 53% विदेशी ग्रेजुएट्स का भी यही मानना था कि उनकी डिग्री का उनकी सैलरी पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
अच्छी सैलरी की गारंटी नहीं है टॉप कॉलेजों से पढ़ाईस्टडी में यह भी सामने आया कि अगर आप टॉप कॉलेज से ग्रेजुएट हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आपको अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिलेगी। क्योंकि टीयर-3 कॉलेजों के ग्रेजुएट्स में से सिर्फ 15 प्रतिशत ने अपनी डिग्री के आधार पर अच्छा करियर बनाया, जबकि 74 प्रतिशत ने कहा कि उनके कॉलेज का नाम केवल शुरुआत में ही मायने रखता था, या बिल्कुल भी मायने नहीं रखता था।
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