आने वाले भारत‑पाकिस्तान मुकाबलों की तैयारियों के बीच एक पुराना विवाद फिर चर्चा में आया है। पूर्व पाकिस्तानी विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल ने हाल ही में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने 15 साल पहले भारत के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर से हुए दृश्य में गलती की थी। यह खुलासा उन्होंने एशिया कप 2025 से पहले एक साक्षात्कार में किया है।
अक्तूबर 2007 के उस घटना में, जब भारत और पाकिस्तान के बीच एक वन‑डे मुकाबला कानपुर में खेला गया था, तब मैच के दौरान गंभीर और अकमल के बीच टकराव हुआ था। मैदान पर तेज़ी से प्रतिस्पर्धा के माहौल में अकमल ने गंभीर पर तीखी टिप्पणियाँ की थीं। उस समय मीडिया में दोनों खिलाड़ियों के बीच झड़प की खबरों ने तूल पकड़ा था।
नए साक्षात्कार में अकमल ने कहा है कि उस स्थिति में उनका व्यवहार भावनात्मक था, वे गुस्से में थे, और उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं सोचा कि उनके शब्द कितने गहरे प्रभाव डालेंगे। उन्होंने यह कहते हुए माफी माँगी, “गलती मेरी ही थी… उस समय मैंने जो कहा, वो मेरे अंदर की भावनाओं का असर था, लेकिन मैं जानता हूँ कि वह सटीक नहीं था।”
अकमल ने साथ ही यह भी कहा है कि भारत‑पाकिस्तान मैचों में प्रतिस्पर्धा के साथ‑साथ आत्म‑नियंत्रण और सम्मान双方 खिलाड़ियों के लिए ज़रूरी हैं। उन्होंने भावनाओं में बह कर ऐसी हरकतों से बचने की सलाह दी, और कहा कि ऐसे मामलों से खेल का मकसद और सौहार्द बिगड़ता है।
गौतम गंभीर सहित क्रिकेट विशेषज्ञों ने अकमल के इस बयान का स्वागत किया है। समर्थकों का कहना है कि इस तरह की स्वीकारोक्ति मैदान के बाहर रिश्तों को बेहतर करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। कुछ विश्लेषकों का तर्क है कि भारतीय‑पाकिस्तानी क्रिकेट मुकाबले केवल खेल नहीं बल्कि राजनयिक और भावनात्मक प्रतीक भी होते हैं, इसलिए इन तरह के विवादों का हल संवाद और परिपक्वता से करना चाहिए।
हालाँकि, इस घटना की पुरानी वीडियो फुटेज और मीडिया रिपोर्ट्स समय‑समय पर सामने आती रही हैं, जिससे यह विवाद जनता की नज़र में रहता है। अब अकमल की माफी ने उस पुरानी दूरी को कम करने की कोशिश की है, जो कभी कुछ शब्दों और भावनात्मक प्रतिक्रिया के कारण बढ़ गई थी।
इस बीच प्रशंसकों और क्रिकेट समुदाय में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या इस तरह की ‘माफी’ खेल के बाहर क्रिकेटर के व्यक्तित्व और दायित्व को भी दर्शाती है। खेल‑विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की बातों से युवा खिलाडिय़ों को यह सीख मिलती है कि खेल के दौरान शब्दों का महत्व होता है, और मैदान के बाहर सम्मान बनाए रखना भी ज़रूरी है।
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