आज के युग में इंसान हमारी प्राचीन कलाओं को महत्त्व नहीं देता और कई जगहो पर यह सभी विलुप्त होने की कगार पर हैं। किन्तु लोग इस बात से अज्ञात हैं कि यह प्राचीन कलाएँ हमारे मानसिक स्वास्थय और शारीरिक कुशलता के लिए कितनी ज्यादा लाभपूर्ण है।
योग” एक ऐसी कला है जो सदियों से चली आ रही है और इसके फ़ायदे भी कई सारे है। प्राचीन काल में, योग के गहरे अभ्यास के कारण कई लोगों की सिद्धि की प्राप्ति होती थी जो परिणामस्वरूप विशेष मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों के अर्जन को दर्शाती है। योग शास्त्रों में सिद्धियों को योग के उच्चतम स्तर पर प्राप्त होने वाली अलौकिक शक्तियाँ माना जाता है। वर्तमान काल के लिए योग एक बेहद ही अच्छा है क्योंकि आज-कल की तनाव पूर्ण ज़िदगी में ‘योग का 15 मिनट का अभ्यास भी आपके तनाव को कम करने के लिए काफ़ी है, जैसे कि ध्यान करना और प्राणायाम करने से हमारे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ते है।
योग साथ ही साथ हमारे शरीर को लचीलता और मजबूत बनाता है, यह मांसपेशियों को टोन करता है और रक्त के संचार में सुधार लाता है। इन सभी कारणों के कारण योग हमारे शरीर मे ऊर्जा करती है, जिससे शरीर और मन दोनों में ताजगी रहती है। अब बात रही नृत्य कला और गायन की तो यह भी कुछ कम नहीं है। यह दो कलाएँ काफी ज्यादा प्रसिद्ध हुआ करती थी राजा और महाराजा सभी इनकी खूबसूरती के दीवाने हुआ करते थे। परन्तु पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की इनमें रुचि ख़तम हो गई खासकर शास्त्रीय नृत्य और और गायन में।
नृत्य और संगीत हमें सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने में मदद करते है और इनके माध्यम से व्यक्ति अपनी भावनाओं एवं संवेदनाओं को व्यक्त कर सकता है जिससे आत्म – संप्रेषण की क्षमता बढ़ती है। यह दोनो कठोर प्रशिक्षण प्रक्रिया और समय प्रबंधन की भावना विकसित करते है जिससे व्यक्ति अनुशासित रहता है। गायन से हमारे फेफड़ो की क्षमता बढ़ती है साथ ही साथ यह हमारी स्मरण शक्ति में वृद्धि लाता है। एक और ऐसी कला है जिसका चयन लोग बरसों से अपनी रचनात्मकता को दर्शाने के लिए करते आए हैं ,वो है चित्रकला। यह कला आत्म विश्वास में विद्धि वृद्धि लाती है, समझ और धैर्य रखने की क्षमता देती है।
योग, नृत्य, गायन और चित्रकला न केवल कला के रूप से महत्व रखते है, बल्कि ये शारीरिक,मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यदि हम इन कलाओं को नियमित रूप से अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हम न् केवल अपनी शारीरिक और मानसिक भलाई में सुधार ला सकते है, बल्कि एक समृद्ध, संतुलित और खुशहाल जीवन भी जी सकते हैं ।
संदर्भ:
● पातंजलि के योगसूत्र, “Light on Yoga” by B.K.S. Iyengar,
● “Dancing through History: A History of Dance in India” by Sunil Kothari,
● “Mindfulness and the Art of Drawing” by Wendy Ann Greenhalgh,
● वैज्ञानिक जर्नल्स
✍🏻अनुष्का स्वर्णा
(शोधकर्ता, चेतना: भारतीय योग एवं नृत्य शोध संस्थान, बिहार)
(कथक प्रशिक्षु तृतीय वर्ष, संगीत शिक्षायतन, पटना)
(गुरु: यामिनी शर्मा)
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