महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर भाषाई अस्मिता के मुद्दे पर गरमा गई है। मीरा-भायंदर में शुक्रवार को आयोजित एक जनसभा में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस को सीधे शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करने की कोशिश करती है, तो मनसे इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी—चाहे इसके लिए स्कूल बंद ही क्यों न करवाने पड़ें। यह बयान उस वक्त आया है, जब त्रिभाषा नीति को लेकर राज्य में बहस तेज हो गई है। ठाकरे ने अपने बेबाक अंदाज़ में इस मुद्दे पर जमकर विरोध जताया।
"मराठी की जगह हिंदी थोपना मंज़ूर नहीं"
राज ठाकरे ने सभा में स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में मराठी के स्थान पर हिंदी को थोपा जा रहा है, और यह केवल एक भाषा परिवर्तन नहीं, बल्कि एक ‘प्रयोग’ है जो धीरे-धीरे मुंबई को गुजरात से जोड़ने की सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने अपने भाषण में कहा, "हिंदी एक मात्र 200 साल पुरानी भाषा है, जबकि मराठी का गौरवशाली इतिहास 2,500 से 3,000 साल पुराना है।" उनके शब्दों में नाराजगी के साथ-साथ गर्व भी साफ झलक रहा था।
“पहले भी दुकानें बंद करवाई थीं, अब भी पीछे नहीं हटेंगे”
राज ठाकरे ने याद दिलाया कि देवेंद्र फडणवीस द्वारा गठित समिति कोई नई बात नहीं है। इससे पहले जब सरकार ने इस तरह की पहल की थी, MNS ने खुलकर विरोध जताया था और कई हिंदी-प्रमुख दुकानों को बंद कराया था। अब अगर दोबारा वही कोशिश हुई, तो मनसे पीछे हटने वाली नहीं है।
हालिया घटनाओं ने फिर से भड़काई भाषा की चिंगारी
हाल ही में एक दुकानदार ने मराठी में बात करने से इनकार किया, जिससे नाराज़ MNS कार्यकर्ताओं ने उससे मारपीट की। इसके बाद भाषा विवाद ने फिर तूल पकड़ लिया। बीजेपी सरकार ने पहले दो ऐसे आदेश जारी किए थे, जिनमें पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करने की बात थी। हालांकि विरोध के बाद इन्हें वापस लेना पड़ा, लेकिन मुख्यमंत्री फडणवीस ने फिर साफ किया कि त्रिभाषा नीति तो लागू होगी ही, बस कक्षा तय करने का जिम्मा समिति पर होगा। राज ठाकरे ने इस पर तीखा रुख अपनाते हुए कहा, "अगर सरकार फिर से हिंदी थोपेगी, तो हम स्कूल बंद करवा देंगे।" इस बयान के साथ उन्होंने जनता में एक स्पष्ट संदेश दे दिया कि मराठी की अस्मिता से कोई समझौता नहीं होगा।
"निशिकांत दुबे को डुबो-डुबो के मारेंगे" — राज ठाकरे की खुली चुनौती
भाषाई बहस के बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की ‘पटक-पटक के मारेंगे’ वाली टिप्पणी ने और आग में घी डालने का काम किया। इस पर राज ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा, “दुबे, तुम मुंबई आओ... डुबो-डुबो के मारेंगे।” उन्होंने आज़ादी के बाद की राजनीति का हवाला देते हुए मोरारजी देसाई और वल्लभभाई पटेल की मराठी-विरोधी नीतियों की आलोचना की और कहा कि गुजरात में बिहारी प्रवासियों पर हमले कभी राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनते, लेकिन महाराष्ट्र की छोटी-छोटी घटनाएं तुरंत उछाल दी जाती हैं।
“हिंदुत्व की आड़ में हिंदी थोपने की कोशिश बर्दाश्त नहीं”
राज ठाकरे ने हिंदुत्व को भाषा थोपने का माध्यम बनाने की कोशिशों की भी आलोचना की। उन्होंने जनता से अपील की कि "मराठी में बोलें, गर्व से बोलें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।" उनके अनुसार यह मुद्दा सिर्फ भाषा या संस्कृति से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीतिक चेतना और क्षेत्रीय पहचान का भी सवाल है।
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