सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों को लेकर सख़्त रुख अपनाया है। अदालत का कहना है कि इन्हें शेल्टर होम में रखा जाना चाहिए। इस फैसले ने समाज को दो हिस्सों में बाँट दिया है—एक पक्ष मानता है कि यह कदम रेबीज़ और कुत्तों के काटने जैसी घटनाओं से बचाव का उपाय है, जबकि दूसरा गुट इसे अमानवीय और जानवरों के प्रति असंवेदनशील बता रहा है।
इसी बहस के बीच अक्सर एक सवाल उठता है—क्यों ये कुत्ते सड़कों पर भागती कारों और बाइकों के पीछे दौड़ पड़ते हैं? लगभग हर किसी ने यह नज़ारा कभी न कभी ज़रूर देखा होगा, जब अचानक कोई कुत्ता आपकी गाड़ी के पीछे भौंकते और दौड़ते हुए आ जाता है। आइए समझते हैं इसके पीछे की असली वजह।
टायर पर छुपा है रहस्य
दरअसल, इसमें आपकी या गाड़ी चलाने वाले की कोई गलती नहीं होती। असली कारण छिपा होता है आपके वाहन के टायरों में। वैज्ञानिक बताते हैं कि कुत्तों की सूंघने की क्षमता इंसानों से कई गुना अधिक होती है। जब कोई कुत्ता गाड़ी के टायर पर पेशाब करता है, तो वह वहां अपनी गंध का निशान छोड़ देता है। यही गंध दूसरे कुत्तों के लिए संदेश बन जाती है—“यह मेरा इलाका है।”
तो जब आपकी गाड़ी किसी और जगह से होकर गुजरती है, तो टायर पर मौजूद वही गंध नए इलाके के कुत्तों को महसूस हो जाती है। उन्हें लगता है कि कोई बाहरी कुत्ता उनके क्षेत्र में दाख़िल हो गया है। नतीजतन, वे आपकी बाइक या कार के पीछे दौड़ने लगते हैं, मानो अपने इलाके की हिफाज़त कर रहे हों।
सुरक्षा या प्रतिशोध की प्रवृत्ति
गंध ही अकेली वजह नहीं है। कई बार ऐसा भी होता है कि यदि किसी गाड़ी से पहले किसी कुत्ते को चोट लगी हो या उसकी मौत हो गई हो, तो उस इलाके के कुत्ते उसी तरह की गाड़ियों को दुश्मन की तरह देखने लगते हैं। जब भी वैसी गाड़ी उनके इलाके में आती है, वे आक्रामक होकर उसका पीछा करने लगते हैं।
खेल और शिकार की आदत
कभी-कभी यह पीछा गुस्से से नहीं बल्कि खेल की प्रवृत्ति से जुड़ा होता है। चलती हुई गाड़ियां कुत्तों में शिकार करने या दौड़ लगाने वाली स्वाभाविक प्रवृत्ति को जगा देती हैं। उन्हें लगता है मानो यह कोई खेल हो और वे बस मज़े के लिए बाइक या कार के पीछे दौड़ पड़ते हैं।
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