नई दिल्ली। भारत के साथ हालिया सैन्य टकराव में करारी हार के कुछ ही दिन बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने अब शांति की बात करते हुए भारत को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। शरीफ ने यह टिप्पणी पंजाब प्रांत के कामरा एयरबेस पर की, जहां उन्होंने उस सैन्य टुकड़ी से मुलाकात की, जो हाल ही में भारत के साथ हुई झड़प में शामिल थी।
प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा, “हम भारत से शांति के लिए बातचीत को तैयार हैं।” हालांकि, उन्होंने बातचीत की शर्तों में कश्मीर मुद्दे को भी शामिल किया, जिससे एक बार फिर पाकिस्तान की पुरानी रट सामने आई।
भारत की ओर से इस पर स्पष्ट रुख पहले ही रखा जा चुका है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य हिस्से हैं, और इस पर कोई चर्चा नहीं हो सकती।
कामरा एयरबेस दौरे के दौरान शरीफ के साथ उपप्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू भी मौजूद थे। यह पिछले कुछ दिनों में किसी सैन्य ठिकाने पर शरीफ का दूसरा दौरा था। इससे पहले उन्होंने बुधवार को सियालकोट स्थित पसरूर छावनी में भी सैनिकों से मुलाकात की थी।
'ऑपरेशन सिंदूर' ने बदला था भारत का रुख
गौरतलब है कि भारत ने 6 और 7 मई की रात "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान पर सटीक जवाबी हमला किया था। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर कर दिया था।
इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारत के सैन्य अड्डों पर जवाबी हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना की ज़बरदस्त जवाबी कार्रवाई में उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। भारत ने पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों जैसे रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनीयां पर हमला किया।
क्या बातचीत की यह पेशकश हार की स्वीकारोक्ति है?
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की यह शांति की पेशकश उसकी रणनीतिक विफलता और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते की गई है। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि बातचीत केवल आतंकवाद पर होगी, न कि किसी क्षेत्रीय मुद्दे पर।
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