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काशी-मथुरा पर मौलाना मदनी का बयान, खुश हुई BJP, कहा – 'देर आए, दुरुस्त आए'

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने हाल ही में काशी और मथुरा मस्जिद विवाद को लेकर संवाद का समर्थन करते हुए एक बयान दिया। इस बयान का भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने स्वागत किया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मदनी का यह संदेश भले ही थोड़ी देरी से आया हो, लेकिन इसमें सही दिशा की पुष्टि होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि काशी, मथुरा और ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।

शाहनवाज हुसैन ने RSS प्रमुख का जिक्र किया

न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, शाहनवाज हुसैन ने यह भी याद दिलाया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कह चुके हैं कि काशी और मथुरा मामलों में कोई आंदोलन नहीं होगा, लेकिन समाधान खोजने की कोशिश जरूर की जानी चाहिए। इससे पहले बीजेपी नेता अजय आलोक ने कहा था कि यदि विवाद संवाद के माध्यम से हल हो जाए तो यह पूरे देश के लिए लाभकारी होगा। वहीं आरपी सिंह ने काशी और मथुरा को भारत की सांस्कृतिक विरासत बताते हुए संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। नलिन कोहली ने भी मदनी के उस बयान की सराहना की, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि विदेशी घुसपैठियों को भारत में रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।

RSS का स्पष्ट रुख


आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पहले ही साफ कर दिया था कि संघ केवल राम मंदिर आंदोलन का आधिकारिक रूप से समर्थन करता है। हालांकि संघ के कार्यकर्ता व्यक्तिगत स्तर पर काशी और मथुरा के मामलों पर अपनी राय और आवाज़ उठा सकते हैं।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति


कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने मौलाना मदनी के बयान पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “यह मामला अदालत और प्रशासन का है, न कि आरएसएस का। समझ नहीं आता कि मौलाना ने यह बयान क्यों और किस दबाव में दिया।”

मौलाना महमूद मदनी का स्पष्टीकरण

न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “हमारे संगठन ने पहले ही प्रस्ताव पारित किया था कि संवाद आवश्यक है। मतभेद हैं, लेकिन उन्हें कम करना होगा। आरएसएस प्रमुख ने जिस तरह से संवाद का हाथ बढ़ाया है, उसकी हम सराहना करते हैं। हम सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे।”

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