मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी राजनीतिक रैलियों, रोड शो और सार्वजनिक आयोजनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह कदम करूर में पिछले शनिवार को हुई भयावह भगदड़ के बाद उठाया गया, जिसमें 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह पाबंदी तब तक लागू रहेगी जब तक ऐसे आयोजनों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार नहीं हो जाती।
यह आदेश अदालत ने चार जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पारित किया। इन याचिकाओं में अभिनेता से नेता बने विजय और उनकी पार्टी तमिलगा वेट्री कझगम (TVK) की रैलियों के दौरान भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए SOP बनाने के निर्देश मांगे गए थे।
SOP न बनने तक किसी सभा की अनुमति नहीं
राज्य सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि SOP तैयार होने तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्धारित स्थानों को छोड़कर किसी भी रैली या रोड शो की अनुमति नहीं दी जाएगी। जज सेंथिलकुमार ने पुलिस की हालिया कार्रवाई की कड़ी आलोचना की, जिसमें विजय के अभियान बस से जुड़ी दुर्घटना के मामले का उल्लेख किया गया। उन्होंने पूछा कि क्या इस संबंध में कोई मामला दर्ज किया गया। जज ने कहा, “मामला दर्ज करने से क्या रोकता है? शिकायत न मिलने पर भी पुलिस को स्वयं पहल करनी चाहिए।”
SIT गठित करने का आदेश
हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया। यह SIT 27 सितंबर को करूर में हुई विजय की रैली में भगदड़ की पूरी जांच करेगा।
साथ ही, अदालत ने टीवीके के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। इनमें प्रदेश महासचिव बुस्सी एन आनंद और उप महासचिव सीटीआर निर्मल कुमार शामिल हैं। ये याचिकाएं 27 सितंबर को करूर रैली में हुई भगदड़ से संबंधित प्राथमिकी में नामजद होने के बाद दायर की गई थीं। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें इस घटना से जुड़े मामले में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
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