By Jitendra Jangid- दोस्तो जैसा कि हम सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में शिव भगवान को सबसे बड़ा देवता माना जाता हैं, जिनकी पूजा करने से इंसान की मनोकामना पूरी होती हैं, भक्तों का मानना है कि शिवलिंग पर जल और बेल (बिल्व) के पत्ते चढ़ाना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। कई पदार्थों को पवित्र माना जाता है, लेकिन सभी हर देवता के लिए उपयुक्त नहीं होते। इसका एक उदाहरण हल्दी है, जो हिंदू परंपराओं में एक आम और शुभ सामग्री है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से क्या फायदे मिलते हैं-

हिंदू संस्कृति
हिंदू रीति-रिवाजों और समारोहों में हल्दी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि: पवित्रता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक विवाह, गृहप्रवेश और त्योहारों जैसे शुभ आयोजनों में भूमिका सुंदरता और जीवन शक्ति बढ़ाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
2. धार्मिक मान्यताएँ: इसे क्यों वर्जित किया गया है
भगवान शिव एक तपस्वी हैं, जो सांसारिक सुखों से विरक्ति का प्रतीक हैं।
वैवाहिक आनंद और सुंदरता से जुड़ी हल्दी इच्छाओं और घरेलू जीवन का प्रतिनिधित्व करती है - शिव के त्याग के विपरीत अवधारणाएँ।
शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से भगवान शिव नाराज़ होते हैं, यही वजह है कि शिव पूजा के दौरान इसे सख्ती से नहीं चढ़ाया जाता है।

3. ज्योतिषीय निहितार्थ
ज्योतिष में हल्दी को चंद्रमा (चंद्र) से जोड़ा जाता है।
शिवलिंग पर इसे चढ़ाने से व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर हो सकता है, जिससे मानसिक तनाव और भावनात्मक असंतुलन हो सकता है।
यह ग्रह दोष (ग्रहों का असंतुलन) भी पैदा कर सकता है और जन्म कुंडली में ऊर्जाओं के सामंजस्य को बाधित कर सकता है।
4. इसके बजाय क्या चढ़ाएं
जल और दूध
बेल पत्र (बिल्व पत्र)
धतूरा, बेल फल और भस्म (पवित्र राख)
ये प्रसाद शिव के तपस्वी और शांत स्वभाव के अनुरूप हैं, जो शांति, आशीर्वाद और आध्यात्मिक विकास का आह्वान करते हैं।
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