छत्रपति संभाजीनगर, 19 अप्रैल . महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे ने पार्टी के मनसे के साथ आने की कयासबाजी पर शनिवार को कहा कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की राजनीति अलग है.
दानवे ने यहां मीडिया से बात करते हुए कहा, “दोनों भाई हैं, लेकिन उनकी राजनीति अलग-अलग है. यदि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को एक साथ आना है, तो उन्हें आपस में बैठकर बात करनी होगी. यह चर्चा टीवी पर नहीं, बल्कि निजी तौर पर होनी चाहिए.”
उल्लेखनीय है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के और राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख हैं.
मराठी भाषा को लेकर दानवे ने सख्त रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि यह राज्य की पहचान है. हर राज्य में संविधान के तहत अपनी भाषा को बढ़ावा देने का अधिकार है. महाराष्ट्र में हिंदी या अन्य भाषाओं को अनिवार्य नहीं किया जा सकता. यदि कोई अन्य भाषा पढ़ना या बोलना चाहता है, तो यह उनकी पसंद है, लेकिन हमारी जिम्मेदारी मराठी को प्राथमिकता देना है.
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर अंबादास दानवे ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यदि बंगाल में दंगों के आधार पर राष्ट्रपति शासन की मांग की जा रही है, तो हाल के दिनों में नागपुर, असम और उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा को भी देखा जाना चाहिए. क्या इन राज्यों में भी राष्ट्रपति शासन लागू होगा? आधार चुनिंदा नहीं हो सकता.
वक्फ कानून को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में सैकड़ों शिकायतें सामने आई हैं, और कई मामले अदालतों में विचाराधीन हैं. इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी पक्षों को बैठकर बातचीत करनी चाहिए. संसद बहुमत के आधार पर फैसले ले सकती है, लेकिन भारत एक लोकतांत्रिक देश है. अदालतें वक्फ मामले में उचित फैसला लेंगी और हमें इसका सम्मान करना चाहिए. भाजपा केवल ध्रुवीकरण की राजनीति करती है.
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एकेएस/एकेजे
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