नोएडा, 6 अगस्त . आज के दौर में महिलाएं न केवल घर की जिम्मेदारियां निभा रही हैं, बल्कि प्रोफेशनल तौर पर भी मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. ऐसे में मां बनना और साथ ही कामकाजी जीवन को संतुलित रखना किसी चुनौती से कम नहीं होता, खासकर तब जब बात नवजात शिशु को स्तनपान कराने की हो. आम धारणा यही है कि कामकाजी महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग को लंबे समय तक जारी नहीं रख सकतीं, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. अगर सही जानकारी, थोड़ी योजना और वर्कप्लेस पर जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों, तो महिलाएं मातृत्व और करियर दोनों भूमिकाओं को बखूबी निभा सकती हैं.
नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक बताती हैं कि आजकल अधिकतर दफ्तरों में लेक्टेशन रूम की सुविधा होती है, जहां महिलाएं शांति और गोपनीयता के साथ ब्रेस्टफीडिंग कर सकती हैं या फिर ब्रेस्ट मिल्क पंप के जरिए स्टोर कर सकती हैं. डॉक्टर का कहना है कि महिलाएं चाहें तो अपने दूध को निकालकर स्टोर कर सकती हैं और घर पर मौजूद किसी विश्वसनीय व्यक्ति को दे सकती हैं, जो बच्चे की देखभाल करता हो. इससे बच्चे को मां का दूध मिलता रहता है और उसके पोषण और स्वास्थ्य में कोई कमी नहीं आएगी.
डॉ. पाठक ने बताया कि ब्रेस्ट मिल्क पंप करने से पहले साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है. इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए और पंप को भी साफ करना चाहिए. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि एक बार में 120 एमएल से ज्यादा दूध न निकाले. वहीं दूध को स्टोर करने के लिए ग्लास की बोतल या बीपीए फ्री प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करें, जिसके ढक्कन टाइट फिटिंग वाली हो. ब्रेस्ट मिल्क स्टोरेज को लेकर उन्होंने बताया कि कमरे के तापमान पर रखा दूध करीब 4 घंटे तक सुरक्षित रहता है, जबकि फ्रिज में रखा गया दूध 4 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए भी कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं. उदाहरण के लिए, स्टोर किया गया दूध फ्रिज के पीछे वाले हिस्से में रखें न कि दरवाजे के पास, क्योंकि वहां तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव होता है, जो दूध की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
दूध को गर्म करने को लेकर डॉ. मीरा पाठक ने स्पष्ट रूप से बताया कि इसे कभी भी उबालना नहीं चाहिए. इसके बजाय, दूध की बोतल को गुनगुने पानी से भरे एक बर्तन में रखकर सामान्य तापमान पर लाया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि एक बार दूध को कमरे के तापमान पर ले आने के बाद उसे दोबारा फ्रिज में नहीं रखना चाहिए और न ही उसमें नया निकाला गया दूध मिलाना चाहिए. ऐसा करने से दूध की पोषण गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है. कामकाजी महिलाओं के लिए एक और जरूरी सलाह देते हुए डॉ. पाठक कहती हैं कि हर तीन से चार घंटे के अंतराल पर दूध निकालने की आदत बनाए रखना चाहिए. ऐसा न करने पर धीरे-धीरे दूध बनना कम हो सकता है, जिससे आगे चलकर स्तनपान में बाधा आ सकती है. साथ ही, जब महिलाएं ऑफिस से वापस घर आएं, तो बच्चे को अच्छी तरह से ब्रेस्टफीड कराएं. इससे न केवल दूध का उत्पादन बना रहेगा, बल्कि बच्चे को मां का स्पर्श और पोषण भी मिलेगा. डॉ. मीरा पाठक का कहना हैं कि स्टोर किया गया ब्रेस्ट मिल्क भी बच्चे के लिए उतना ही फायदेमंद होता है जितना कि ताजा दूध, क्योंकि इसमें जरूरी न्यूट्रिएंट्स, इम्युनिटी बढ़ाने वाले कंपोनेंट्स और ग्रोथ फैक्टर्स मौजूद होते हैं. यह बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है.
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पीके/डीएससी
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