ऊना, 17 सितंबर . Himachal Pradesh में इस साल मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है, जिसका सबसे ज्यादा असर ऊना जिले में देखने को मिला है. जिले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को करीब 190 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जिले की 15 सड़कें अब भी बंद हैं, जिससे लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ है. सबसे अधिक प्रभावित बंगाणा मंडल है, जहां 9 सड़कें बंद हैं. इसके अलावा भरवाईं मंडल में तीन, हरोली में दो और ऊना मंडल में एक सड़क बंद है. हालांकि, राहत की बात यह है कि दौलतपुर चौक मंडल की सभी सड़कें सुचारू रूप से चल रही हैं.
लोक निर्माण विभाग की टीमें दिन-रात मशीनरी के साथ सड़कों को खोलने और मरम्मत कार्य में जुटी हुई हैं. विभाग के अधीक्षण अभियंता हर्ष पुरी ने बताया कि बंद सड़कों को प्राथमिकता के आधार पर खोला जा रहा है.
उन्होंने कहा कि विभाग युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है ताकि जनसुविधाएं जल्द से जल्द बहाल की जा सकें. सड़कों के बंद होने से स्थानीय लोगों को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सामान्य जीवन और व्यापारिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं.
पिछले साल 2023 में भी ऊना जिले में बरसात ने भारी नुकसान पहुंचाया था. उस दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए लोक निर्माण विभाग के स्थानीय वृत्त को 37.23 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई थी. इस राशि से प्रभावित सड़कों और अन्य ढांचागत कार्यों की मरम्मत के लिए आदेश जारी की जा चुकी हैं.
अधिकारियों का कहना है कि इन कार्यों को जल्द शुरू करने की योजना है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने की तैयारी को और मजबूत किया जा सके.
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. बारिश और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों को खोलने और बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
अधीक्षण अभियंता हर्ष पुरी ने आश्वासन दिया कि विभाग पूरी तत्परता के साथ कार्य कर रहा है और जल्द ही सभी बंद सड़कों को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा.
Himachal Pradesh में इस साल की बरसात ने न केवल ऊना, बल्कि पूरे राज्य में भारी तबाही मचाई है. विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न बदल रहा है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. ऐसे में भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत ढांचागत योजनाओं और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है.
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एकेएस/जीकेटी
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