Mumbai , 10 जुलाई . कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद को लेकर देशभर में चर्चा गर्म है. धार्मिक पहचान से जुड़े मुद्दों पर बढ़ती राजनीतिक बयानबाजी के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य इदरीस नाइकवाड़ी ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति या संगठन को अपने धर्म की पहचान जताने का अधिकार है, लेकिन जब यह पहचान दूसरे धर्म या समुदाय को निशाना बनाने का माध्यम बन जाए, तो उस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.
समाचार एजेंसी से Thursday को खास बातचीत में कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट लगाने को लेकर मचे विवाद पर टिप्पणी करते हुए इदरीस नाइकवाड़ी ने कहा कि मैं साफ तौर पर कहता हूं कि किसी को अपने धर्म की पहचान दिखाने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए. कोई कहे कि मैं हिंदू हूं, मुस्लिम हूं, सिख हूं या क्रिश्चियन – यह उसका व्यक्तिगत अधिकार है. लेकिन सवाल यह है कि अभी ही क्यों इन बोर्ड्स की जरूरत महसूस हुई? इसका मकसद क्या है?
उन्होंने संदेह जताया कि इस तरह के बोर्ड लगाकर कुछ संगठन अपनी धार्मिक बहुसंख्या का प्रदर्शन करना चाहते हैं, जिससे समाज में एक संदेश जाए कि ‘हम बहुसंख्यक हैं और हम देश को अपनी सोच के अनुसार चलाएंगे’. उन्होंने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति करार दिया और कहा कि मकसद अगर साफ न हो, तो धर्म भी राजनीति का उपकरण बन जाता है.
नाइकवाड़ी ने कहा कि अगर ऐसा कदम सिर्फ धार्मिक भावना से उठाया जा रहा है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल दूसरे समुदायों को डराने या नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा है, तो यह समाज को बांटने वाला है.
उन्होंने कहा कि इस देश में सभी धर्मों के लोग जन्म लेते हैं, यह कोई विकल्प नहीं होता, बल्कि प्रकृति का नियम है. ऐसे में अपने धर्म की पहचान जताने की आज अचानक क्या जरूरत महसूस हुई, यह सवाल उठता है.
उत्तराखंड में कुछ हिंदू संगठनों की ओर से कथित तौर पर यह कहे जाने पर कि कांवड़ यात्रा मार्ग में मुस्लिम नजर नहीं आने चाहिए, इदरीस नाइकवाड़ी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कानून में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी विशेष मार्ग से न गुजर सके. अगर कोई संगठन ऐसा कह रहा है, तो यह कानून व्यवस्था को चुनौती देने जैसा है.
उन्होंने आगे कहा कि इन संगठनों की विचारधारा प्रदूषित है, जो देश को विभाजित करना चाहती है. उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी मानसिकता को कानून के दायरे में लाकर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.
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पीएसके/केआर
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