नई दिल्ली, 27 जून . ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले पर ऐतराज जताया है.
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “निर्वाचन आयोग बिहार में गुपचुप तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है. वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेजों के जरिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुआ था, और यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहां पैदा हुए थे. विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं. ज्यादातर सरकारी कागजों में भारी ग़लतियां होती हैं.”
उन्होंने लिखा, “बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे गरीब हैं, वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं. ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज होंगे, एक क्रूर मजाक है.”
असदुद्दीन ओवैसी ने वोटर लिस्ट का जिक्र करते हुए लिखा, “इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा. वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ही ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर सख्त सवाल उठाए थे. चुनाव के इतने करीब इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से लोगों का निर्वाचन आयोग पर भरोसा कमजोर हो जाएगा.”
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले का बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को इस फैसले से बेचैनी क्यों हो रही है? अगर चुनाव आयोग पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहता है, तो इसमें गलत क्या है? विपक्ष लोकतंत्र के खिलाफ काम करने में लगा हुआ है. चुनाव आयोग का यह कदम बिहार में निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करेगा.”
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एकेएस/एकेजे