मुंबई, 4 जुलाई . महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी भाषा का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने कहा कि जो भी महाराष्ट्र में रहता है, उसे मराठी भाषा का सम्मान करना चाहिए. मराठी हमारी मातृभाषा है और इसका आदर करना हर किसी का कर्तव्य है. अगर कोई मराठी भाषा का अपमान करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. यही शिवसेना की स्पष्ट भूमिका है.
उन्होंने नितेश राणे के दाढ़ी-टोपी वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमने कभी किसी ‘दाढ़ी’ या ‘टोपी’ पहनने वाले को निशाना नहीं बनाया, लेकिन जो महाराष्ट्र में रहता है, उसका इस राज्य और यहां की जनता के प्रति जुड़ाव होना चाहिए. इसी तरह जो भारत में रहता है, उसे देश के प्रति निष्ठावान होना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रप्रेम नहीं दिखाता और राष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. धर्म या समुदाय को निशाना बनाकर टिप्पणी करना गलत है. कानून ऐसे करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करेगा.
उदय सामंत ने शिवेसना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के संभावित मंच साझा करने पर कहा कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है. राज ठाकरे ने खुद पहले ही साफ कर दिया है कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है. कांग्रेस की ओर से भी यही कहा गया कि यह दो भाइयों का व्यक्तिगत कार्यक्रम है, राजनीतिक गठबंधन नहीं.
उदय सामंत ने आगे कहा कि अगर शिवसेना (यूबीटी) को राज साहब के साथ गठबंधन चाहिए तो पहले उन्हें कांग्रेस नेताओं द्वारा वीर सावरकर पर की गई टिप्पणियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. फिलहाल यह सिर्फ एक इवेंट है. न कोई सीट का बंटवारा हुआ है और न ही कोई आधिकारिक घोषणा. जब ऐसा कुछ होगा, तभी उस पर राजनीतिक टिप्पणी की जा सकती है.
उदय सामंत ने संजय राउत के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में ‘हिंदी शक्ति’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल उस समय शुरू हुआ था, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे. मैं खुद उस सरकार में मंत्री और समिति का सदस्य था. उस समय हिंदी भाषा को लेकर जो निर्णय लिए गए, उनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री की सहमति शामिल थी. इसलिए, आज इस विषय पर सवाल उठाना केवल राजनीति है.
सामंत ने हिंदी भाषा को लेकर मार्शल समिति की रिपोर्ट पर स्पष्ट किया कि मार्शल समिति की रिपोर्ट को खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्वीकार किया था. उस रिपोर्ट को सूचना निदेशालय के माध्यम से सार्वजनिक भी किया गया था. मुख्यमंत्री कार्यालय से इस पर अनुमति भी दी गई थी. अब उसी रिपोर्ट पर सवाल उठाना हास्यास्पद है.
उदय सामंत ने व्यापारी संगठन प्रमुख सुशील केडिया के बयान पर कहा कि किसी को मराठी बोलनी है या नहीं, यह उनकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, लेकिन मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर उनके बच्चे महाराष्ट्र में नहीं पढ़ते तो भी यह राज्य की भाषा है और इसका सम्मान करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई व्यक्ति खुद को भारतीय मानता है तो उसे भारतीयता की भावना से ही सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए.
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डीकेपी/डीएससी
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