नई दिल्ली: भारत की प्रमुख प्राकृतिक संसाधन और ऊर्जा कंपनी वेदांता लिमिटेड ने अपने भविष्य की विकास रणनीति का खाका पेश करते हुए 3डी रणनीति – डीमर्जर, डायवर्सिफिकेशन और डीलीवरेजिंग – की घोषणा की है। चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने 60वीं वार्षिक आमसभा में यह बताया कि इस रणनीति का उद्देश्य वेदांता को दोगुना आकार की कंपनी में बदलना है।
डीमर्जर: प्रत्येक व्यवसाय की स्वतंत्र शक्तिवेदांता की योजना के अनुसार, कंपनी की विभिन्न व्यावसायिक इकाइयों को अलग-अलग कंपनियों में विभाजित किया जाएगा। अनिल अग्रवाल के अनुसार, इन अलग इकाइयों में से प्रत्येक में 100 बिलियन डॉलर (₹8.35 लाख करोड़) की कंपनी बनने की क्षमता है।
डीमर्जर से व्यवसायों को अलग पहचान मिलेगी, निवेशक वर्ग विस्तृत होगा और प्रत्येक सेक्टर को अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। AGM में बताया गया कि इस प्रक्रिया को 99.5% शेयरधारकों और लेनदारों की मंजूरी मिल चुकी है और इसे अंतिम चरण में लाया जा चुका है।
वेदांता अब सिर्फ अपने मौजूदा खनन और धातु व्यापार तक सीमित नहीं रहना चाहती। कंपनी की योजना महत्वपूर्ण खनिज, रेयर अर्थ मेटल्स, एनर्जी ट्रांजिशन मेटल्स, बिजली, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी जैसे नए क्षेत्रों में निवेश कर अपना दायरा बढ़ाने की है।
यह रणनीति न सिर्फ कंपनी की आय के स्रोत बढ़ाएगी, बल्कि भारत को ऊर्जा स्वतंत्रता और आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में भी योगदान देगी।
वेदांता की तीसरी रणनीति है – डी-लीवरेजिंग, यानी कर्ज कम करना। कंपनी का फोकस अपने वित्तीय ढांचे को मजबूत बनाकर भविष्य के निवेश और विकास के लिए तैयार करना है।
भारत के विकास लक्ष्यों से मेलवेदांता का यह ट्रांसफॉर्मेशन भारत के आर्थिक और ऊर्जा संबंधी लक्ष्यों के अनुरूप है। कंपनी भारत में पहला औद्योगिक जिंक पार्क और देश का सबसे बड़ा एल्यूमीनियम पार्क स्थापित कर रही है, जिससे हजारों MSME को बढ़ावा मिलेगा और लाखों नौकरियां पैदा होंगी।
साथ ही, वेदांता ने 1000 डीप-टेक स्टार्टअप्स को सहयोग देने और भारत में विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन प्लेटफॉर्म बनाने की भी घोषणा की है।
अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत की भूवैज्ञानिक संरचना कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी समृद्ध है, लेकिन अभी तक केवल 25% ही खनिज अन्वेषण हुआ है। वेदांता ने अब तक 10 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक हासिल किए हैं, जो किसी भी निजी कंपनी के लिए सबसे अधिक हैं।
शिक्षा और सामाजिक विकास में भी आगेवेदांता की सामाजिक पहल नंद घर ने 15 राज्यों में 8,500 केंद्र पार कर लिए हैं। कंपनी 2050 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके साथ ही वेदांता के चेयरमैन ने वेदांता यूनिवर्सिटी की योजना की घोषणा की — यह संस्थान हार्वर्ड जैसी वैश्विक शिक्षा प्रणाली से प्रेरित होगा और भारत को अनुसंधान, नवाचार और नेतृत्व में आत्मनिर्भर बनाएगा।
मजबूत वित्तीय प्रदर्शनFY 2024-25 में वेदांता का कुल राजस्व ₹1,50,725 करोड़ रहा और एबिटा ₹43,541 करोड़ तक पहुंचा। कंपनी ने 87% शेयरधारक रिटर्न के साथ Nifty 100 की टॉप वैल्यू क्रिएटर कंपनियों में जगह बनाई।
हिंदुस्तान जिंक ₹12,000 करोड़ के निवेश से एक नया 2.5 लाख टन का स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स बना रहा है, वहीं ऑयल एंड गैस सेक्टर में केयर्न ने 7 नए OALP ब्लॉक हासिल किए हैं। एल्यूमीनियम उत्पादन क्षमता को 31 लाख टन तक बढ़ाया जा रहा है।
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि यह रणनीति केवल व्यवसाय का विकास नहीं, बल्कि भारत की आकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है। कंपनी के 1 लाख कर्मचारियों में से 22% महिलाएं हैं और 2030 तक 30% महिला प्रतिनिधित्व का लक्ष्य तय किया गया है।
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