नई दिल्ली, 26 अप्रैल . भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को निधन हो गया. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर संवेदनाएं प्रकट कीं.
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कस्तूरीरंगन के प्रयासों की तारीफ करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘एक्स’ पर लिखा, “डॉ. के. कस्तूरीरंगन को भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय प्रयासों और योगदान के लिए याद किया जाएगा. वे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे. उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की राह पर कदम बढ़ाया. वे इसरो से जुड़े थे और सफल उपग्रह प्रक्षेपण में उनकी भूमिका सराहनीय थी. उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.”
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन का निधन शुक्रवार को बेंगलुरु में हुआ. उन्होंने 84 वर्ष की आयु में अपने बेंगलुरु स्थित आवास में आखिरी सांस ली. बताया जा रहा है कि सुबह करीब 10 बजे उनका निधन हो गया. वह सबसे लंबे वक्त तक इसरो चीफ के पद पर कार्यरत रहे हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की कई बड़ी हस्तियों ने दुख प्रकट किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”यह जानकर दुख हुआ कि डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन अब हमारे बीच नहीं रहे. इसरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ज्ञान के प्रति अपने जुनून के साथ, उन्होंने विविध क्षेत्रों में भी बहुत योगदान दिया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में मदद की, जो पहले से ही अगली पीढ़ी के निर्माण पर गहरा प्रभाव डाल रही है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.”
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर कस्तूरीरंगन से मुलाकात की पुरानी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ”मैं भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में एक महान व्यक्तित्व डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से बहुत दुखी हूं. उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति उनके निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने इसरो में कड़ी लगन से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जिसके लिए हमें वैश्विक मान्यता भी मिली. उनके नेतृत्व में महत्वाकांक्षी उपग्रह प्रक्षेपण भी हुए और नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया.”
उन्होंने लिखा, ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रारूपण के दौरान और भारत में शिक्षा को अधिक समग्र और दूरदर्शी बनाने के लिए डॉ. कस्तूरीरंगन के प्रयासों के लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा. वे कई युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक उत्कृष्ट मार्गदर्शक भी थे. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, छात्रों, वैज्ञानिकों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं.”
–
एससीएच/एकेजे
The post first appeared on .
You may also like
Mumbai Indians vs Lucknow Super Giants: Predicted XI, Match Preview, and Key Insights
बेटियों के बलात्कारियों से जब माँ ने कहा “अब्दुल अली एक-एक करके करो, नहीं तो वो मर जाएंगी ⤙
3 बार इंजीनियरिंग में फेल बेटे का खौफनाक काम, मर्डर का तरीका जान कांप गई रूह ⤙
भाजपा ने पूछा, झारखंड के मुख्यमंत्री उद्योग मंत्री के बजाय अपनी पत्नी को स्वीडन
फिरोजाबाद में महिला की हत्या: पति और देवरों ने किया बर्बरता से हमला