New Delhi, 22 सितंबर . पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ को उनके साहसी खेल के लिए जाना जाता है. ‘क्रिकेट’ अंशुमान के खून में था. उनके पिता दत्ताजीराव कृष्णराव गायकवाड़ भारतीय टीम के कप्तान रह चुके थे. पिता के ही नक्शेकदम पर चलते हुए अंशुमान गायकवाड़ ने इस खेल को चुना.
दत्ताजीराव कृष्णराव गायकवाड़ ने साल 1952 से 1961 के बीच India की ओर से 11 टेस्ट खेले, जिसमें उन्होंने 18.42 की औसत के साथ 350 रन बनाए. इसके अलावा, 110 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में उनके बल्ले से 36.40 की औसत के साथ 5,788 रन निकले.
23 सितंबर 1952 को बॉम्बे में जन्मे अंशुमान गायकवाड़ ने 1969/70 में फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की, जहां शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें दिसंबर 1974 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू का मौका मिला.
मजबूत डिफेंसिव तकनीक के चलते अंशुमान को ‘द ग्रेट वॉल’ के नाम से जाना जाता था. धैर्य, तकनीकी मजबूती और साहस उनकी बल्लेबाजी को खास बनाता था. तेज गेंदबाजों के सामने डटकर खड़े रहने वाले अंशुमान चोटें खाने के बावजूद पिच पर डटे रहते. उनका संघर्षपूर्ण रवैया उन्हें टीम का भरोसेमंद खिलाड़ी बनाता था.
1970 के दशक में सुनील गावस्कर के साथ अंशुमान गायकवाड़ की जोड़ी बेहद मशहूर थी. साल 1975-76 में India के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने जमैका में वेस्टइंडीज की खतरनाक गेंदबाजी के विरोध में बल्लेबाजी से इनकार कर दिया था, लेकिन गायकवाड़ ने उस दौर के सबसे तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग का सामना करते हुए गावस्कर के साथ पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े.
गायकवाड़ 81 रन बना चुके थे. इसी बीच उन्हें सिर में चोट लगी और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. टीम इंडिया इस मुकाबले को 10 विकेट से गंवा बैठी. वेस्टइंडीज ने चार मुकाबलों की सीरीज 2-1 से अपने नाम की.
गायकवाड़ अगले दो दिन आईसीयू में रहे. इस दौरान उनकी कई सर्जरी हुईं, लेकिन इलाज के बावजूद बाएं कान से सुनने की क्षमता कम हो गई.
ऐसा लग रहा था कि यहां से अंशुमान का टेस्ट करियर खत्म हो जाएगा, लेकिन सात महीनों के अंदर उन्होंने टीम में वापसी कर ली. वापसी के बाद उन्होंने छह टेस्ट मुकाबलों में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का सामना किया.
सितंबर 1983 में जालंधर में Pakistan के खिलाफ गायकवाड़ ने 436 गेंदों में 201 रन बनाए. भारतीय टीम इस पारी में सिर्फ 374 रन बना सकी थी, जिससे गायकवाड़ की पारी की अहमियत साबित होती है. India इस मुकाबले और पूरी सीरीज को ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा था.
अंशुमान गायकवाड़ ने अपने टेस्ट करियर में 40 मैच खेले, जिसमें 30.07 की औसत के साथ 1,985 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से 2 शतक और 10 अर्धशतक आए. वहीं, 15 वनडे मुकाबलों में उन्होंने 269 रन जुटाए.
उन्होंने फर्स्ट क्लास करियर में 206 मैच खेले, जिसमें 41.56 की औसत के साथ 12,136 रन अपने नाम किए. इसमें 34 शतक और 47 अर्धशतक शामिल हैं. वहीं, 55 लिस्ट-ए मुकाबलों में गायकवाड़ ने 1,601 रन जुटाए.
संन्यास के बाद अंशुमान गायकवाड़ साल 1992 से 1996 तक भारतीय टीम के नेशनल सेलेक्टर रहे, जिसके बाद दो बार भारतीय टीम के कोच रहे. उनकी कोचिंग में ही सचिन तेंदुलकर ने शारजाह में तूफानी शतक जड़ा और अनिल कुंबले ने एक पारी में 10 विकेट अपने नाम किए.
साल 2018 में अंशुमान गायकवाड़ को बीसीसीआई ने सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया. 31 जुलाई 2024 को इस दिग्गज क्रिकेटर ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
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आरएसजी
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