मुंबई, 31 मई . महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक संजय उपाध्याय ने कांग्रेस नेताओं के हालिया बयानों पर शनिवार को जुबानी हमला किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सशक्त नीतियों और भारतीय सेना की वीरता के कारण ही आज देश आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा है. भाजपा विधायक ने कहा कि कांग्रेस की सोच और नीति हमेशा पाकिस्तान और चीन के समर्थन में नजर आई है, जबकि भाजपा ने देशहित को सर्वोपरि रखा है.
संजय उपाध्याय ने समाचार एजेंसी से खास बातचीत में कहा कि पहलगाम की घटना के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया. पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को बंद कर दिया गया और भारत में रह रही पाकिस्तानी महिलाओं को वापस भेजा गया. हमारी सेना ने पाकिस्तान के एयरबेस और पाकिस्तान तथा पीओके में नौ से अधिक आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया. आतंकवादी मसूद अजहर के परिवार के 14 लोग मारे गए. तीन दिन के भीतर पाकिस्तान घुटनों पर आ गया. यह मोदी सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति और सेना की बहादुरी का परिणाम है.
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को सही ठहराया है. इस पर संजय उपाध्याय ने कहा कि आर्टिकल 370 कांग्रेस की एक ऐतिहासिक भूल थी. जनसंघ और भाजपा ने शुरू से ही इसका विरोध किया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए बलिदान दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब देश को एक मजबूत सरकार मिली, तभी इसे हटाया गया. आज जम्मू-कश्मीर में जो विकास और बदलाव देखने को मिल रहे हैं, वे पूरे विश्व के सामने हैं. खुर्शीद द्वारा इसकी सराहना इस निर्णय की सफलता को प्रमाणित करती है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा भारत की सैन्य कार्रवाई का उल्लेख किए जाने पर उपाध्याय ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश की सीमा का उल्लंघन नहीं किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत लाचार है. पीएम मोदी के नेतृत्व में 140 करोड़ भारतीयों की जान की कीमत अमूल्य है. कश्मीर में हमारे जवानों और पर्यटकों पर हुए हमलों का जवाब देना हमारा अधिकार है. भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति पूरी तरह स्पष्ट और निर्णायक है.
भाजपा विधायक ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जिसे सबूत चाहिए वह पाकिस्तान जाकर ले आए. संजय उपाध्याय ने कहा कि जो लोग सेना के शौर्य पर सवाल उठाते हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वे आतंकवादियों के साथ हैं या देश के साथ. इस प्रकार के सवाल देश की एकता और सेना के मनोबल को नुकसान पहुंचाते हैं. यह समय राजनीति करने का नहीं, एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने का है. सेना पर प्रश्न उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसे लोगों की मंशा पर संदेह होता है.
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पीएसके/एकेजे
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